आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने कोयला और लिग्नाइट पर मूल्य के आधार पर क्रमशः 14 फीसदी और 6 फीसदी रॉयल्टी लगाने की बात स्वीकार कर ली है। उसने यह फैसला कोयला मंत्रालय द्वारा गठित अध्ययन समूह की सिफारिशों के तहत किया है। अभी तक रॉयल्टी के लिए बड़ा ही मिश्रित किस्म का फार्मूला चलता रहा है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गुरुवार को अपनी बैठक में तय किया कि कोयले पर 14 फीसदी रॉयल्टी शुल्क के ऊपर अन्य टैक्स और शुल्क अलग से लगेंगे। रॉयल्टी में प्रस्तावित संशोधन पश्चिम बंगाल में तब तक लागू नहीं होगा, जब तक वहां लगाये गये उपकरों को खत्म नहीं कर दिया जाता। लिग्नाइट पर मूल्यानुसार 6 फीसदी की दर से रॉयल्टी शुल्क लिया जाएगा। कोयला खदानों के लिए रॉयल्टी की गणना के लिए से कोयला खदानों से उत्पादित कोयले का मूल्य कोयले और लिग्नाइट के खदान निकासी मूल्य के बराबर होगा।
कोयला और लिग्नाइट पर रॉयल्टी की संशोधित दरें लागू होने से कोयला उत्पादक राज्यों को इसके खनन, उत्पादन और बिक्री से हुई कमाई का उचित हिस्सा मिल सकेगा। एक अनुमान के अनुसार झारखंड, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, नगालैंड़, मेघालय, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, असम और अरूणाचल प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण कोयला उत्पादक राज्यों को कोयले से औसतन 17.31 फीसदी और लिग्नाइट से औसतन 14.53 फीसदी ज्यादा रॉयल्टी मिलेगी। कोयला उत्पादक राज्यों को 5950 करोड़ रुपए की जगह अब 6980 करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा।
कोयला और लिग्नाइट की रॉयल्टी में संशोधन के लिए खदान एवं खनिज (विकास व नियमन) कानून 1957 में संशोधन से संबंधित गजट अधिसूचना एक महीने के अंदर जारी कर दी जाएगी। नई सूचना जारी होने के साथ ही कोयला उत्पादक राज्य संशोधित दर के हिसाब से रॉयल्टी की वसूली करेंगे।