खेती की लागत बढ़ने के कारण किसान समुदाय ने अगले साल से सभी अनाजों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करने की मांग की है। कृषि मंत्री शरद पवार ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘देश में सभी इलाकों के किसान खेती की बढ़ती लागत के कारण सभी अनाजों और गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि ईंधन व मजदूरी के बढ़े हुए खर्च के कारण खेती की उत्पादन लागत बढ़ गयी है।
कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में अनाजों का बेहतर समर्थन मूल्य मिलने से देश के अनाज उत्पादन में सुधार आया है। सरकार ने खेती में बेहतर निवेश और किसानों के प्रोत्साहन के लिए 21 प्रकार के अनाजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। उल्लेखनीय है कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश के बाद किसी अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एसएमसी) तय किया जाता है।
पवार ने कहा कि सरकार सीएसीपी के अध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया में है। बता दें कि पिछले सात साल से करीब सभी अनाजों का समर्थन मूल्य दोगुना हो गया है। इसके असर से किसानों ने गेहूं का रकबा बढ़ा दिया और 2009-10 में देश का गेहूं उत्पादन बढ़कर 9.918 करोड़ टन पर पहुंच गया है जो 2008-09 में 8.068 करोड़ टन था।
इसी प्रकार धान का समर्थन मूल्य 2004-05 की तुलना में 560-590 रुपए से बढ़कर बीते साल 1000-1030 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। जबकि इस दौरान गेहूं का समर्थन मूल्य 640 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 1120 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। इस अवधि में गन्ने का समथर्न मूल्य भी 74.5 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 139.12 क्विंटल प्रति टन पर पहुंच गया। सरकार ने दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए इस साल चने का समर्थन मूल्य 2100 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर का समर्थन मूल्य 2250 कर दिया है।