रिजर्व बैंक का कहना है कि इस समय भारत जैसे उभरते बाजारों की संभावनाओं की तुलना में गहराते वैश्विक आर्थिक हालात का खतरा ज्यादा है। बढ़ती ब्याज दरों से अर्थव्यवस्था में सबसे लिए उधार लेना मंहगा हो गया है। इससे उपभोक्ता और निवेश, दोनों की ही मांग पर नकारात्मक असर पड़ा है। इससे आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ सकती हैं। अमेरिका में इसका साफ असर देखा जा रहा है। वहां के केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व ने 2023 में अपनी अर्थव्यवस्था के बढ़ने का अनुमान घटाकर 0.5% कर दिया है, जबकि पहले यह अनुमान 1.2% हुआ करता था। वहां अगले साल बेरोजगारी की दर भी बढ़कर 4.6% हो सकती है। अमेरिका व अन्य विकसित देशों की सुस्ती का असर भारत के निर्यात व औद्योगिक उत्पादन पर पड़ा है और आगे भी पड़ेगा। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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