स्पाइसजेट, देश की सस्ती विमान सेवा कंपनी। हवाई यात्राओं के बाजार में 13.6 फीसदी हिस्सेदारी, लेकिन गुड़गांव के राकेश अग्रवाल व राहुल भाटिया की कंपनी इंडिगो एयरलाइंस के 19.7 फीसदी हिस्से से कम। स्पाइसजेट के पास 29 बोइंग-737 एयरक्राफ्ट हैं जो 23 शहरों में हर दिन कुल 192 उड़ाने भरते हैं। वह 11 बॉम्बार्डियर क्यू-400 एयरक्राफ्ट खरीदने वाली है और एक बोइंड 737 लीज पर लेगी, जिसके बाद उसके बेड़े में 43 एयरक्राफ्ट हो जाएंगे। कंपनी इसी जुलाई से अपने केंद्र हैदराबाद से छोटे विमानों की क्षेत्रीय उड़ानें भी शुरू करनेवाली है। विमानन मंत्रालय की मंजूरी मिल गई तो वह काठमांडू व कोलंबो के अलावा कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय शहरों के लिए उड़ानें शुरू कर सकती है। नई योजनाओं पर कंपनी का इरादा 200 करोड़ रुपए निवेश करने का है।
धंधे की बात करें तो वह देश में लिस्टेड तीन विमानन कंपनियों में से इकलौती कंपनी है जो लाभ में है। वित्त वर्ष 2010-11 में जेट एयरवेज को 85.84 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, जबकि विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस का घाटा थोड़ा घटने के बावजूद 1027.39 करोड़ रुपए का है। दूसरी तरफ इसी दौरान स्पाइसजेट को 101.16 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है। कंपनी 2008-09 में 333.78 करोड़ रुपए के घाटे में थी। लेकिन उसने 2009-10 में 61.45 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया। इसके बाद अब उसका शुद्ध लाभ 65 फीसदी बढ़कर 101.16 करोड़ रुपए हो गया है।
शुक्रवार 27 मई को कंपनी ने जब ये नतीजे घोषित किए तो उसका 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 500285) में 0.6 फीसदी गिरकर 39.40 रुपए पर बंद हुआ। इस गिरावट की खास वजह यह थी कि सालाना लाभ के बावजूद मार्च 2011 में खत्म चौथी तिमाही में कंपनी को 59 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ है, जबकि साल भर पहले समान अवधि में यह घाटा 27 करोड़ रुपए ही था। बाजार चूंकि हर तिमाही के नतीजों को संज्ञान में लेता है। इसलिए खटाक से उसका शेयर गिर गया। हालांकि कल यह 1.40 फीसदी बढ़कर 39.95 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी का अद्यतन सालाना ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 2.80 रुपए है। इस तरह उसका शेयर अभी 14.27 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
नवंबर 2010 में हासिल 97.45 रुपए के शिखर से यह 59 फीसदी गिर चुका है और इसी साल 24 फरवरी 2011 को हासिल 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 36.15 रुपए के काफी करीब है तो इसे ले ही लिया जाना चाहिए। यहीं पर चलते-चलते आपको बता दूं कि हमने इसी कॉलम में सबसे पहले 14 जून 2010 को स्पाइसजेट को खरीदने की सिफारिश की थी। तब इसमें ओपन ऑफर का दौर चल रहा था और शेयर का भाव 56.05 रुपए था। तब से अब तक 28 फीसदी गिर चुका है। लेकिन नोट करें कि उसके बाद के पांच महीने में ही यह शेयर 8 नवंबर 2010 तक करीब 74 फीसदी बढ़कर 97.45 रुपए पर पहुंच गया था, जबकि हमने कहा था कि यह साल भर में 30 फीसदी बढ़त की संभावना रखता है।
इससे हमें यह समझ में आता है कि बी ग्रुप के ज्यादातर शेयरों में लांग टर्म या दीर्घकालिक निवेश का खास फायदा नहीं होता। वे इतने चंचल होते हैं कि उनमें जमकर ऊंच-नीच होता रहा है। इसलिए बी ग्रुप के शेयरों को फेंटते रहना चाहिए। ए ग्रुप के शेयरों लंबी अवधि के निवेश करना चाहिए और गिरने पर उन्हें फिर खरीद कर अपनी औसत लागत घटाते रहना चाहिए। लेकिन बी ग्रुप के लिए साथ यह करना चाहिए कि जब भी लक्षित फायदा हासिल हो, बेचकर मुनाफ कमा लेना चाहिए। जिन निवेशकों ने यह रणनीति अपनाई होगी, उन्होंने स्पाइसजेट के निवेश पर 74 फीसदी का फायदा कमा लिया होगा और जिन्होंने सोचा होगा कि रखे रखते हैं, वे अभी 28 फीसदी नुकसान खाकर पछता रहे होंगे।
स्पाइसजेट यकीनन मौजूदा स्तर पर निवेश का अच्छा अवसर पेश कर रही है। लेकिन इसमें सबसे बड़ा जोखिम इसके नए मालिक को लेकर है। आपको पता ही होगा कि केंद्रीय कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन के बड़े भाई और सन टीवी के कर्ताधर्ता कलानिधि मारन स्पाइसजेट को खरीद चुके हैं। कंपनी की 405.38 करोड़ रुपए की इक्विटी के 38.61 फीसदी हिस्से पर उनका नियंत्रण है। इधर तहलका की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सीबीआई दयानिधि और कलानिधि मारन दोनों को घेरे में लेनेवाली है। जिस तरह की डील डीबी रीयल्टी के शाहिद बलवा और कनिमोड़ी के कलैगनर टीवी में हुई थी, वैसा ही कुछ एयरसेल की तरफ से सन टीवी के साथ किया गया है।
अगर सीबीआई कोई कार्रवाई करती है तो सन टीवी के साथ स्पाइसजेट का स्टॉक भी लपेटे में आ सकता है। इसलिए स्पाइसजेट में निवेश करते वक्त उससे जुड़े इस राजनीतिक जोखिम का जोड़-घटाना, हिसाब-किताब कर लिया जाना चाहिए। हालांकि चूंकि यह 2006 का मामला है और तब स्पाइसजेट से मारन परिवार का कोई लेना-देना नहीं था। वो भी 2010 से मारन के अधीन आई है। इसलिए स्पाइसजेट पर खास आंच नहीं आनी चाहिए। लेकिन वो कहते हैं ना कि दुर्घटना से सावधानी भली।
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Sir Ji Pranam,
If I am not mistaken, Bombay Dyeing is the Promoter for Go Air and not Indigo.
That is it from my side.
Bahut dhyan se follow karta hun main aapko 🙂
Regards,
Shishir
शिशिर परीक जी, धन्यवाद। आपने सही पकड़ा। इसे कहते हैं सावधानी हटी, दुर्घटना घटी या यूं कहें कि गलती से मिस्टेक हो जाना। खैर, गलती अब सुधार ली है। देर आयद, दुरुस्त आयद। एक बार फिर शुक्रिया।
ऐसे ही ध्यान से साथ चलते रहें। एक दिन हम आसमां तक का सफर मजे में तय कर लेंगे। ऐसा तंत्र बना लेगे कि आम निवेशकों को कोई उल्लू बनाने की जुर्रत नहीं कर पाएगा।
Thanks for your acknowledgement Sir.
Regards,
Shishir