राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन की शुरुआत हो चुकी है। इसके तहत देश भर में व्यापक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। हम इसके जरिए साल 2022 तक 50 करोड़ कुशल कामगार तैयार कर लेंगे। इससे जहां उद्योगों की आवश्यकता पूरी होगी, वहीं युवाओं में रोजगार पाने की काबिलियत बढ़ेगी। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को विभिन्न ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों के साथ बजट-पूर्व बैठक में यह बात कही। यह बजट-पूर्व विचार-विमर्श के लिए हुई तीसरी बैठक थी। प्रथम बैठक 7 जनवरी को कृषि क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ और दूसरी 11 जनवरी को उद्योग क्षेत्र के नुमाइंदों के साथ हो चुकी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि रोजगार अवसरों में बढोतरी विकास प्रक्रिया को व्यापक आधार देने के लिए बेहद जरूरी है। केन्द्र सरकार ने त्वरित विकास को ध्यान में रखते हुए एक बहु-उद्देश्यीय रणनीति तैयार की है जो रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगी और स्वास्थ्य व शिक्षा सेवाओं की पहुंच आसान बनाएगी। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, भारत निर्माण, जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण योजना सरकार द्वारा चलाई गई कुछ ऐसी योजनाएं हैं, जिन्होंने पिछड़े वर्गों की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद की है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि हमारे यहां युवा जनसंख्या बहुत अधिक है, लेकिन इसका लाभ तभी सुनिश्चित किया जा सकेगा, जब रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और स्वस्थ व शिक्षित श्रम शक्ति में आवश्यक कौशल उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि लेबर ब्यूरो द्वारा जुलाई-सितम्बर, 2010 के लिए जारी की गई तिमाही रिपोर्ट में रोजगार में सतत विकास दिखाया गया है। कपड़ा क्षेत्र, आईटी/बीपीओ क्षेत्र, ऑटोमोबाइल क्षेत्र व धातु उद्योग में रोजगार में उत्साहवर्धक विकास देखा गया है।