चौकस धंधा नवनीत पब्लिकेशंस का

नवनीत पब्लिकेशंस का उस नवनीत पत्रिका से कोई वास्ता नहीं है जिसके संपादक विश्वनाथ सचदेवा हैं। यह कंपनी तो स्कूली बच्चों की किताबों के प्रकाशन और स्टेशनरी का व्यवसाय करती है। और, क्या खूब करती है। नवनीत पब्लिकेशंस ने मार्च 2010 में खत्म हुए वित्त वर्ष 2009-10 में 523.31 करोड़ रुपए की बिक्री पर 68.47 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। केवल मार्च 2010 की तिमाही की बात करें तो उसकी बिक्री 100.61 करोड़ व शुद्ध लाभ 8.10 करोड़ रुपए रहा है। यकीन ही नहीं आ रहा कि कॉपी-किताब के धंधे में कोई कंपनी इतना बड़ा कारोबार कर सकती है वह भी तब जब इस क्षेत्र में तमाम छोटी-छोटी स्थानीय किस्म की असंगठित फर्में सक्रिय हैं।

इसके शेयर पर 19 अप्रैल को नजर गई थी तब इसका भाव 51 रुपए के आसपास था। बाजार के एक जानकार ने बताया था कि यह आराम से कुछ दिनों में 55 रुपए पर जा सकता है। और, सचमुच 27 अप्रैल को 57.20 रुपए पर चला गया जो पिछले 52 हफ्तों का इसका शिखर है। लेकिन अब यह फिर गिरकर 50.05 रुपए पर आ गया है। एक बार फिर इसे खरीदने की सलाह देने का मन बन रहा है। इसकी खास वजह यह है कि कंपनी ने नए समय की जरूरत के हिसाब से अपने कारोबार को ढाल रखा है। बीएसई के मुताबिक जहां इसके शेयर का पी/ई अनुपात 8.45 है, वहीं इसी श्रेणी की कंपनी डेक्कन क्रोनिकल का पी/ई अनुपात 12.32 है। कंपनी की इक्विटी पूंजी 47.64 करोड़ रुपए की है और इसमें प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 61.81 फीसदी है।

दूसरी बात यह है कि यह ऐसे सदाबहार धंधे में है जिसमें कभी मंदी नहीं आ सकती। कंपनी के पास व्यापक डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क है। लेकिन बस सावधानी की बात यह है कि इसमें चंद दिनों के लिए निवेश न करें, बल्कि कम से कम साल-दो साल के लिए करें। नहीं तो बेकार में रोएंगे कि अरे, इसमें तो घाटा लग गया। यह ऐसी संभावनामय कंपनी है जिसकी समृद्धि के हिस्सेदारी यानी इसके शेयर खरीदने की कोशिश हम कर सकते हैं। यह मुंबई की कंपनी है। उसके शेयर का अंकित मूल्य 2 रुपए का है और यह बीएसई व एनएसई दोनों में लिस्टेड है। कंपनी 2007 से लगातार हर साल लाभांश दे रही है। उसके प्रबंध निदेशक अमरचंद गाला हैं।

हां, अंत में बता हूं कि आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज के कार्यकारी निदेशक अनूप बागची के मुताबिक इस समय एनटीपीसी और भारती एयरटेल निवेश के लिए आकर्षक शेयर हैं। लेकिन इनमें कम से कम छह महीने के लिए निवेश किया जाना चाहिए।

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