पहले विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान 6.6% से घटाकर 6.3% किया। अब आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष) ने भी कह दिया है कि इस साल हमारा जीडीपी 6.1% के बजाय 5.9% ही बढ़ सकता है। फिर भी अगर रिजर्व बैंक विकास दर का अनुमान दो महीने में ही 6.4% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया तो इसकी राजनीतिक वजह ही हो सकती है। मई 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले रिजर्व बैंक केंद्र सरकार की शान में कोई गुस्ताखी नहीं कर सकता। मगर, अर्थव्यवस्था पर राजनीति का हुक्म तो चलता नहीं। वह ठोस व ज़मीनी आर्थिक हालात से ही चलती है। सवाल उठता है कि बाहर देश का निर्यात बाज़ार सुस्त और अंदर लोगों की खपत घट रही हो तो अर्थव्यवस्था ज्यादा कैसे बढ़ सकती है। हां, हम इस बात से ज़रूर खुश हो सकते हैं कि चीन की विकास दर हमसे कम 5.2% ही रहेगी। अब सोमवार का व्योम…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.