काहे को रोये?

रोजमर्रा की उलझनों को नहीं सुलझाते तो एक दिन ये उलझनें आपको ही ‘सुलझा’ देती हैं। तब आप किस्मत का रोना रोते हैं, जबकि थोड़े तनाव से बचने के लिए ये हालात आपने खुद ही पैदा किए होते हैं।

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