जो सत्ता के रंग में नहीं रंग सकते, दलाली नहीं कर सकते, छद्म राष्ट्रवाद का उम्माद नहीं फैला सकते हैं और भारत से बाहर दुनिया में कहीं सेटल हो सकते हैं, उनमें से ज्यादातर लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। इनमें बड़ी तादाद एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल्स) या अति अमीर लोगों की है। ये लोग बाहर बसने के लिए गोल्डन वीसा खरीद रहे हैं। लंदन की वैश्विक नागरिकता व आवास सलाहकार फर्म हेनली एंड पार्टनर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में करीब 7500 एचएनआई ने भारत छोड़कर विदेश में घर व नागरिकता ले ली। वैश्विक निवेश बैंक, मॉर्गन स्टैनली का अनुमान है कि 2014 से 2018 के बीच भारत के 23,000 करोड़पतियों ने अपना मुख्य आवास भारत से बाहर बना लिया है। ये सभी विजय माल्या, मेहुल चौकसी, ललित मोदी या नीरव मोदी जैसे आर्थिक अपराधी नहीं हैं जो भारतीय बैंकों का माल लूटकर बाहर भागे हैं। हमारी सरकार इस अपराधियों को पकड़ वापस नहीं ला रही है। साथ ही देश छोड़कर भाग रहे भारतीयों की समस्या पर गौर नहीं कर रही। कभी विदेश भाग रही प्रतिभाओं की प्रक्रिया को ‘ब्रेन ड्रेन’ कहा जाता था। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश में बसे भारतीयों को ‘ब्रेन बैंक’ कहते हैं, जबकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर कहते हैं कि सफल, समृद्ध व प्रभावशाली अनिवासी भारतीय (एनआरआई) भारत के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। अब मंगलवार की दृष्टि…
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