कुछ लोग शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग से इसलिए घबराते हैं कि इससे होनेवाली आय को बिजनेस आय माना जाएगा और उन्हें ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। वे यह नहीं समझते कि वे अपनी जेब से नहीं, बल्कि अपनी कमाई पर टैक्स दे रहे हैं। कमाया तभी तो उसका एक हिस्सा टैक्स के रूप में चुकाया। नहीं कमाते तो कहां से टैक्स देते! कहने का सार यह है कि पहले कमाने की सोचें। टैक्स देने के भय से कमाने से दूर भागना दुनियादारी नहीं है। जो टैक्स देने से घबराते हैं, वे जीवन भर घबराते ही रहते हैं और शेयर बाज़ार या किसी भी अन्य धंधे से ज्यादा कमा नहीं पाते। यह कहावत तो आपने भी सुनी होगी कि गिरते हैं शहसवार (घुड़सवार) ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल (छोटा बच्चा) क्या गिरे जो घुटनों के बल चले। अब बुधवार की दृष्टि…
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