स्वागत है आपका सेसा स्टरलाइट में!

चुटकी भर टिप्स, मुठ्ठी भर मंत्र। यही अपना मूल मकसद है। टिप्स तो बहाना है, असली काम तो आपको बताना है शेयर बाजार ही नहीं, पूरे वित्तीय बाज़ार की बारीकियों के बारे में ताकि कोई आपको झांसा न दे सके और आप अपने फैसले खुद ले सकें। ऐसे में हर बड़ी खबर या घटना का इस्तेमाल हमें जानने-समझने के मौके के रूप में करना चाहिए। शनिवार को वेदांत समूह ने अपनी एक कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को दूसरी कंपनी सेसा गोवा में विलीन करने का फैसला ले लिया। क्या आपको पता है कि इस विलय से इन दोनों ही लिस्टेड कंपनियों की सेहत और उनके शेयरों पर क्या फर्क पड़ेगा? आइए, जानते हैं।

असल में कबाड़ी से खरबपति बने उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने इस विलय के जरिए एक तीर से कई निशाने मारे हैं। सेसा गोवा देश में लौह अयस्क की सबसे बड़ी उत्पादक। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज देश में तांबा, एल्यूमीनियम, जस्ता व सीसे की सबसे बड़ी निर्माता। दोनों के विलय से बनी नई कंपनी, सेसा स्टरलाइट देश में रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद निजी क्षेत्र की दूसरे सबसे ज्यादा लाभप्रद कंपनी बन जाएगी। प्राकृतिक संसाधनों के स्वामित्व के बारे में सेसा स्टरलाइट दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों – बीएसपी बिलिटन, वाले व रियो टिन्टो की श्रेणी में शुमार हो जाएगी।

नई कंपनी का बाजार पूंजीकरण साल भर में इस विलय के पूरा हो जाने के बाद करीब एक लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। इस समय स्टरलाइट का बाजार पूंजीकरण 39,874 करोड़ रुपए और सेसा गोवा का बाजार पूंजीकरण 19,759 करोड़ रुपए है। इस तरह दोनों का सम्मिलत बाजार पूंजीकरण 59,633 करोड़ रुपए का है। विलय के अंतर्गत स्टरलाइट के पांच शेयरों पर सेसा गोवा के तीन शेयर दिए जाएंगे। ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल के रिसर्च प्रमुख जगन्नाधम तुनगुंटला का कहना है कि शेयरों की लेनदेन का यह अनुपात स्टरलाइट के शेयरधारकों के लिए ज्यादा फायदेमंद है।

शनिवार को दोनों कंपनियों के निदेशक बोर्ड का औपचारिक फैसला आने से पहले ही बाजार को शायद इसका आभास हो था। इसीलिए शुक्रवार, 24 फरवरी 2012 को स्टरलाइट का शेयर जहां बीएसई (कोड – 500900) में 3.17 फीसदी बढ़कर 118.65 रुपए और एनएसई (कोड – STER) में 3.09 फीसदी बढ़कर 118.60 रुपए पर बंद हुआ है, वहीं सेसा गोवा का शेयर बीएसई (कोड – 500295) में 0.13 फीसदी घटकर 227.35 रुपए और एनएसई (कोड – SESAGOA) में 0.24 फीसदी घटकर 226.70 रुपए पर बंद हुआ है। हो सकता है कि स्टरलाइट के बढ़ने और सेसा गोवा के घटने का यह सिलसिला आज भी जारी रहे।

विलय के विवरण में बताया गया है कि अब मूल कंपनी वेदांत रिसोर्सेज का 590 डॉलर का ऋण नए कंपनी सेसा स्टरलाइट के ऊपर आ जाएगा। असल में वेदांत रिसोर्सेज ने केयर्न इंडिया की बहुलांश इक्विटी हासिल करने के लिए दिसंबर 2010 में 870 करोड़ डॉलर का ऋण लिया था। चूंकि केयर्न इंडिया की 58.9 फीसदी इक्विटी अब सेसा स्टरलाइट के पास आएगी और वही उसकी मालिक होगी तो उसे हासिल करने के लिए लिया गया कर्ज स्वाभाविक रूप से उसी के सिर पर आएगा। लेकिन इस डील ने खुद वेदांत समूह का कर्ज का बोझ करीब 60 फीसदी हल्का हो जाएगा।

शेयरधारकों के लिए एक हल्की-सी चिंता की बात यह भी है कि इस विलय के अंतर्गत वेदांत समूह की दो अन्य कंपनियां वेदांत एल्यूमीनियम और मद्रास एल्यूमीनियम को सेसा स्टरलाइट में मिला दिया जाएगा। दिक्कत यह है कि वेदांत एल्यूमीनियम के ऊपर दिसंबर 2011 तक 20,000 करोड़ रुपए का कर्ज था। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इस विलय ने समूह के कामकाज में नया तारतम्य ला दिया है। यह अलग बात है कि हिंदुस्तान ज़िक अब भी सेसा स्टरलाइट से बाहर रहेगी। असल में उसे मिलाना अभी संभव नहीं है क्योंकि उसमें अब भी भारत सरकार की 29.54 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी है।

विलय के बाद बनी नई कंपनी में वेदांत रिसोर्सेज की हिस्सेदारी की 58.3 फीसदी रहेगी। अंत में सारे पहलुओं के मद्देनजर कंपनी का दावा है कि विलय का फैसला शेयरधारकों को ज्यादा मूल्य दिलाने के लिए किया गया है। इससे साल भर में कंपनी कम से कम 1000 करोड़ रुपए का लागत खर्च बचा पाएगी। दिसंबर 2012 तक यह विलय पूरा जाने की उम्मीद है। हमारा मानना है कि अभी तक जटिल कॉरपोरेट संरचना के कारण बाजार वेदांत समूह की कंपनियों को अच्छा भाव नहीं देता रहा है। हो सकता है कि विलय के बाद लाभप्रदता बढ़ने के साथ कॉरपोरेट संरचना की जटिलता घट जाने से बाजार उसे ज्यादा भाव देने लग जाए।

निवेशक अभी गिरते सेसा गोवा के शेयर खरीद सकते हैं। वैसे भी सेसा गोवा के शेयर केवल 8.81 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे हैं, जबकि स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के 34.19 के पी/ई पर। हो सकता है कि हाल-फिलहाल स्टरलाइट बढ़ जाए और सेसा गोवा घट जाए, लेकिन इससे फिक्र नहीं करनी चाहिए। ट्रेडरों के लिए तो शायद सही तरीका होगा कि स्टरलाइट में लांग रहो और सेसा गोवा में शॉर्ट। ये दोनों ही कंपनियां एफ एंड ओ सेगमेंट में शामिल हैं। यानी, इनमें डेरिवेटिव सौदे मजे में हो सकते हैं।

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