कॉस्मो फिल्म्स कोई मरी-गिरी कंपनी नहीं है। 1981 में उसने देश में पहली बार बीओपीपी (बाय-एक्सिली ओरिएंटेड पॉलि प्रोलिपीन) फिल्म बनाने की शुरुआत की। इन फिल्मों का व्यापक इस्तेमाल पैकेजिंग व लैमिनेशन के काम में होता है। कंपनी थर्मल लैमिनेशन फिल्म भी बनाती है। उसकी दो उत्पादन इकाइयां औरंगाबाद (महाराष्ट्र) और कर्जण (गुजरात) में हैं। यूं तो कंपनी देश में भी माल बेचती है। लेकिन उसका मुख्य जोर निर्यात पर है क्योंकि अमेरिका व यूरोप से उसे बड़ा धंधा मिलता रहा है। इधर अमेरिका-यूरोप में सुस्ती है तो कंपनी का धंधा भी थोड़ा मंदा चल रहा है।
बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसने अकेले दम पर 938.02 करोड़ रुपए की बिक्री पर 51.52 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में उसकी बिक्री 11.81 फीसदी बढ़कर 254.41 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 16.42 फीसदी बढ़कर 10.99 करोड़ रुपए हो गया। लेकिन सितंबर तिमाही में बिक्री मात्र 5.20 फीसदी बढ़कर 228.16 करोड़ रुपए पर पहुंची, जबकि शुद्ध लाभ 37.78 फीसदी घटकर 9.98 करोड़ रुपए पर आ गया। कंपनी ने 9 नवंबर को इन नतीजों की घोषणा की थी। उसके बाद उसका शेयर 88 रुपए से गिरकर 30 नवंबर को 72 रुपए पर आ गया जो 52 हफ्ते का उसका न्यूनतम स्तर है।
गुजरे शुक्रवार, 9 दिसंबर को उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 508814) में 78.75 रुपए और एनएसई (कोड – COSMOFILMS) में 78.80 रुपए पर बंद हुआ है। सितंबर तिमाही में ढीले धंधे के बावजूद कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का स्टैंड-एलोन ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 24.25 रुपए है और इस तरह उसका शेयर फिलहाल 3.25 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। हालांकि इसके कंसोलिडेटेड नतीजों की ज्यादा अहमियत है क्योंकि अमेरिका से लेकर हांगकांग, सिंगापुर व हॉलैंड जैसे देशों में उसकी नौ सब्सिडियरियां हैं। कंपनी का टीटीएम ईपीएस कंसोलिडेटेड आधार पर अभी 19.84 रुपए है और 78.80 रुपए पर उसका पी/ई अनुपात 3.97 निकलता है। कंपनी की प्रति शेयर बुक वैल्यू उसके बाजार भाव की लगभग दोगुनी 170.69 रुपए है।
इस आधार पर कोई भी फंडामेंटली कह सकता है कि कॉस्मो फिल्म्स में निवेश बड़ा सुरक्षित है और इसमें लंबे समय का निवेश निश्चित रूप से फलेगा। लेकिन फंडामेंटल वाले तो बाजार की गिरावट के इस दौर में मेंटल केस बन गए लगते हैं। कहीं कोई फंडामेंटल इस समय नहीं चल रहा। इसलिए हम तो हलचलों को पकड़कर चलने में यकीन रखते हैं। लेकिन हवा में अटकी कंपनियों में नहीं, बल्कि मजबूत धरातल पर खड़ी कंपनियों में। हमारी खबर के मुताबिक कॉस्मो फिल्म्स को हो सकता है कि आज या कल में 5 फीसदी चढ़ा दिया जाए। अगर ऐसा नहीं भी हुआ तो यह कंपनी लंबे समय में नुकसान नहीं कराएगी।
हां, इस समय कच्चे माल की लागत बढ़ने और विदेशी बाजारों की सुस्ती से दबाव में जरूर है। लेकिन देर-सबेर इससे बाहर तो उसे निकलना ही है। वैसे, निवेश से पहले समझ लें कि इसका शेयर बहुत ऊपर नहीं जाता। पिछले दो सालों में इसका अधिकतम पी/ई अनुपात 8.47 रहा है जो इसने अक्टूबर 2010 में हासिल किया था। तब इसका शेयर 187.70 रुपए तक चला गया था। नए साल के पहले कारोबारी दिन 3 जनवरी 2011 को यह 142.65 रुपए पर था। तब से अब तक यह 44.8 फीसदी गिर चुका है, जबकि इसी दौरान सेंसेक्स 21.1 फीसदी ही गिरा है।
कंपनी की कुल इक्विटी 19.44 करोड़ रुपए है। इसका 56 फीसदी हिस्सा पब्लिक के पास और बाकी 44 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात 1.21 है। कंपनी पर मार्च 2011 तक कुल 402.78 करोड़ रुपए का ऋण था। लेकिन प्रवर्तकों ने अपने कोई शेयर गिरवी नहीं रखे हैं। एफआईआई के पास जून 2011 की तिमाही में कंपनी के 0.13 फीसदी शेयर थे। सितंबर 2011 तक उन्होंने अपना निवेश घटाकर 0.02 फीसदी कर लिया है। इस दौरान डीआईआई का निवेश 0.16 फीसदी से जरा-सा घटकर 0.15 फीसदी पर आया है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 24,155 है। इनमें से 23,182 (95.97 फीसदी) छोटे निवेशकों के पास उसके 33.35 फीसदी शेयर हैं। प्रवर्तकों से भिन्न कंपनी के तीन बड़े शेयरधारकों में आईएल एंड एफएस ट्रस्ट (1.19 फीसदी), हरेश केशवानी (3.79 फीसदी) और रिकी ईश्वरदास कृपलानी (2.56 फीसदी) शामिल हैं।
कंपनी अपने शेयरधारकों को पिछले पांच सालों से हर साल लाभांश देती रही है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 के लिए उसने दस रुपए के शेयर पर 5 रुपए यानी 50 फीसदी का लाभांश दिया है। उसका लाभांश यील्ड 6.35 फीसदी के आकर्षक स्तर पर है। वैसे, पैकेजिंग उद्योग में जिंदल पॉलि फिल्म्स (बीएसई – 500227, एनएसई – JINDALPOLY) का शेयर फंडामेंटल आधार पर इससे भी ज्यादा आकर्षक नजर आता है।
Balmer Lawari & Co. ????