बाजार में शुरुआती भाव बढ़त की उम्मीद का रहा क्योंकि पिछले दो सत्रों में भारी गिरावट हो चुकी थी। सूचकांक बढ़कर खुले। लेकिन फिर शॉर्ट सौदों की मार शुरू हो गई। बहुत सारे धुर जुआरियों में ट्रेडिंग के दम पर रातोंरात लाखों कमाने की चाहत अब भी जोर मार रही है। इनमें से कुछ लोग बाजार में सुधार आने की उम्मीद में ट्रेड कर रहे हैं तो बहुत से लोग गिरावट पर ही खेलना चाहते हैं। और, बाजार से दूर रहना ट्रेडरों के खून में है नहीं तो वे इधर या उधर कुछ न कुछ करना चाहते हैं।
हर ट्रेडर को लगता है कि उसके स्रोत इतने पुख्ता हैं कि दांव कभी खाली जा ही नहीं सकता। जब हताश होते हैं तो जुए जैसी लत उन्हें और दांव लगाने पर मजबूर कर देती है। इस समय हमारे सारे ट्रेडर खुद को टेक्निकल एनालिसिस का एक्सपर्ट समझने लगे हैं और मानते हैं कि वे चार्टों को बड़ी अच्छी तरह पढ़ लेते हैं। शुक्रवार को हुआ यह कि ट्रेडरों ने 4910 पर शॉर्ट सौदे काट दिए और लांग होने की कोशिश की। लेकिन तभी बाजार की बागडोर अपनी मुठ्ठी में रखनेवालों ने दिशा पलट दी। उन्होंने बाजार को 4882 तक गिरा दिया और ट्रेडर फिर से शॉर्ट होने लगे।
बाजार के उस्ताद अब दूसरी दिशा में लग गए। उनका काम दुनिया के बाजारों ने कर दिया। डाउ जोंस बढ़ चुका था। इसी तरह सिंगापुर सीएनएक्स भी 75 अंक ऊपर था। इससे साफ संकेत गया कि सोमवार की सुबह बाजार मजबूती के साथ खुलेगा और हुआ भी ऐसा। 4906.85 पर बाजार खुला। निफ्टी के 4940 के ऊपर पहुंचने पर कोई भी ट्रेडर शॉर्ट रहना गवारा नहीं कर सकता था। साथ ही डेरिवेटिव पर नजर रखनेवाले देख सकते हैं कि 5000 के कॉल ऑप्शंस जमा होते जा रहे हैं।
लेकिन जल्दी ही माहौल पर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों ने पानी फेर दिया। अक्टूबर में आईआईपी में 5.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जून 2009 के बाद यह औद्योगिक उत्पादन की सबसे खराब स्थिति है। वैसे, हर किसी को पता था कि आईआईपी के आंकड़े बुरे ही रहनेवाले हैं। लेकिन इसके बहाने बाजार में खलबली मचा दी गई। वोलैटिलिटी का दौर चला दिया गया। 4900 का स्तर टूटते ही ट्रेडरों में अफरातफरा मच गई। वो निफ्टी को 50-60 अंक इधर-उधर लपकने में जुट गए। उनकी इस मानसिकता ने बाजार के उस्तादों को खेलने का अच्छा मौका और माहौल दे गया। निफ्टी आखिरकार 2.10 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 4764.60 और सेंसेक्स 2.12 फीसदी की गिरावट के साथ 15,870.35 पर बंद हुआ है।
लेकिन असली दांव तीन दिन बाद 16 दिसंबर को रिजर्व बैंक के इस फैसले पर टिका है कि वह ब्याज दरें घटाता है कि नहीं। ब्याज दरें घटाए जाने की उम्मीद बाजार को फिर से 5130 की तरफ ले जाने के लिए पर्याप्त है। थोड़े में कहूं तो आपको समझना होगा कि मंजिल तय है। लेकिन वहां तक पहुंचने का रास्ता बाजार के उस्तादों के हाथ में हैं और वे इसका फैसला डेरिवेटिव सौदों के खेल के आधार पर करते हैं। वे मजे से खेलते हैं और हर महीने 20 फीसदी का रिटर्न कमा लेते हैं। ये है अपने बाजार और बाजार शक्तियों की हकीकत। कमाल है कि फिर भी हम दावा करते हैं कि हमारा पूंजी बाजार दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है! ऊपर से यह कि एफआईआई को अपने निहित विचारों को रखने की पूरी छूट है, जबकि डरे हुए निवेशकों और तबाह ब्रोकरों की कोई सुनवाई नहीं है।
अण्णा हज़ारे भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले हुए हैं जिससे हम सभी लोग मौजूदा हालात के प्रति जागरूक हो रहे हैं। लेकिन पूंजी बाजार को अमीरों का अड्डा मानकर कोई देखता ही नहीं। यह बाजार अभी जिस तरह से काम कर रहा है, उसने देश के निवेशकों व ट्रेडरों को निहित स्वार्थों के हवाले कर दिया है। फिलहाल हम 16 दिसंबर के इंतजार करने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकते। लेकिन इस सारे बुरे वाकयों और हालात के बावजूद मैं कम से कम दिसंबर के चालू सेटलमेंट में लांग रहने का पक्षधर हूं।
अच्छे श्रोता बनिए। आपके कान न कभी आपको धोखा देंगे और न ही कभी कोई तकलीफ।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)