यूपीए सरकार मल्टी-ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर उसी तरह व्यग्र हो गई है जैसे तीन साल पहले वह जुलाई 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु संधि को लेकर हुई थी। जहां एक तरफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साफ कर दिया है कि सरकार इस फैसले से पीछे नहीं हटेगी, वहीं उनके करीबी और वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने तो यहां तक कह दिया कि अगर विदेशी सुपरमार्केट्स को भारत में आने से रोक दिया गया तो देश के करोड़ों निर्धनतम लोगों को चावल से लेकर सब्जियों तक के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी।
कमाल की बात है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फिलहाल खुद ही दस लाख से ज्यादा आबादी वाले 53 शहरों में मल्टी-बांड रिटेल खोलने पर विदेशियों को 51 फीसदी निवेश की छूट देने की पेशकश की है। लेकिन कौशिक बसु अपने अभियान में इतने अंधे हो गए हैं कि देश के सुदूर इलाकों के निर्धनतम लोगों को रोजमर्रा के खानपान की चीजें महंगी मिलने का डर दिखा रहे हैं। उन्होंने लंदन से प्रकाशित टाइम्स अखबार को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि टेस्को व वॉल-मार्ट जैसी सुपरबाजार श्रृंखलाओं को भारत में स्टोर खोलने देना देश में खाद्य मुद्रास्फीति से निपटने के सबसे कारगर तरीकों में से एक है। बता दें कि कौशिक बसु अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं और फिलहाल छुट्टी लेकर भारत में वित्त मंत्रालय के सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं।
उधर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक के बेनतीजा रहने के बाद कहा कि रिटेल सेक्टर में एफडीआई का फैसला जल्दबाज़ी में नहीं, बल्कि काफी सोच समझकर लिया गया है। उन्होंने राजधानी दिल्ली में आयोजित युवा कांग्रेस के सम्मेलन ‘बुनियाद’ में कहा कि इससे आम आदमी को रोजमर्रा की चीजें सस्ते दामों में मिलेंगी। जहां तक छोटे रिटेलरों व व्यापारियों का सवाल है तो कई बड़े देशों में छोटे और बड़े रिटेलर साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमने इसीलिए कुछ शर्तें भी रखी हैं, जिसके अंतर्गत विदेशी कंपनियों के आने पर छोटे व्यापारियों को नुकसान नहीं होगा। फिर भी अगर कोई राज्य चाहे तो अपने यहां एफडीआई को लागू नहीं करे। इसके लिए वो पूरी तरह स्वतंत्र हैं। बता दें कि रिटेल व्यापार राज्यों का मामला है। इसमें केंद्र सरकार नीतियां जरूर बना सकती है। लेकिन इसे अपनाना राज्यों की मर्जी पर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मल्टी-ब्रांड रिटेल में विदेशी पूंजी के आने से फूड प्रोसेसिंग, स्टोरेज और सप्लाई चेन में क्रांति आ जाएगी। इससे महंगाई भी कम होगी। उनका कहना था कि महंगाई से निपटने के लिए पहले ही भारत सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है, लेकिन समस्या यह है कि खाद्य पदार्थों के उत्पादन और खपत में भारी अंतर होने की वजह से दाम बढ़ जाते हैं।