शोर, हो-हल्ले में सच बड़ा साफ है

फाइनेंस की दुनिया में चाहे कोई योजना बनानी हो, किसी स्टॉक या बांड का मूल्यांकन करना हो या बकाया होमलोन की मौजूदा स्थिति पता करनी हो, हर गणना और फैसला हमेशा आगे देखकर किया जाता है, पीछे देखकर नहीं। पीछे देखकर तो पोस्टमोर्टम होता है और पोस्टमोर्टम की गई चीजें दफ्नाने के लिए होती हैं, रखने के लिए नहीं। इसलिए बस इतना देखिए कि आपके साथ छल तो नहीं हो रहा है। भरोसे की चीज़ पकड़िए और फिर आगे-आगे देखते-सीखते बढ़ते चले जाइए।

शेयर बाज़ार में निवेश और ट्रेडिंग का यही भरोसा लेकर हम और आप साथ-साथ चल रहे हैं। हम केवल पद्धति सिखा सकते हैं और फैसले लेने में मदद कर सकते हैं। बाकी मन आपका, मनोविज्ञान आपका। धन आपका, धन का नियोजन आपका। ट्रेडिंग का वक्त और ट्रेडिंग का सॉफ्टवेयर भी आपका। भाव को सबसे ऊपर मानकर चलिए। उसमें सब समाहित है। वो सब बताता है। बस देखनेवाले की नज़र चाहिए। बाज़ार किसी की नहीं सुनता। कल रिजर्व बैंक की तरफ से उम्मीद के अनुरूप ब्याज दर में चौथाई फीसदी कटौती होते ही सेंसेक्स करीब 100 अंक नीचे आ गया। लेकिन फिर वहां से करीब 200 अंक उठ गया। अंत में बंद हुआ 160.13 अंक घटकर 19575.64 पर। ऐसा ही होगा, ऐसा पहले के कोई नहीं कह सकता था।

बाज़ार हम सभी लोगों की, खरीदने-बेचनेवालों की मानसिकता का सामूहिक निचोड़ है। जब हम खुद अपना नहीं जानते कि अगले पल किस आवेश में आकर क्या कर डालेंगे तो दूसरों की चाल का फैसला कैसे कर सकते हैं? जंगल पेड़ों से मिलकर बनता है, लेकिन वो पेड़ों का जोड़ भर नहीं होता। न ही सबको समाहित करने से जंगल भगवान बन जाता है। हां, बड़े पेड़ छोटे पेड़ों का खाद-पानी ज़रूर खा जाते हैं। लेकिन छोटे न हों तो बड़ों का वजूद भी मिट जाएगा। उनकी जड़ों की दीमक खा जाएंगी। कुछ ऐसा ही स्वरूप शेयर बाज़ार का भी है। बाज़ार को भगवान मानना गलत है और दो कौड़ी का मानकर उस पर सवारी की बात सोचना भी नादानी है। बस, हम उसकी दशा-दिशा समझकर कमाई कर सकते हैं।

आप ट्रेडिंग करते होंगे तो जानते होंगे कि कितने सारे संकेतक शेयरों की चाल को दिखाने के लिए मौजूद हैं। तरह-तरह की कैंडल, बार चार्ट, किस्म-किस्म के ऑसिलेटर, बोलिंज़र बैंड, ट्राएंगल, एक्पोनेंशियल एवरेज, सिंपल और मूविंग एवरेज, एमएसीडी, आरएसआई, इलिएट वेव्स और जाने क्या-क्या। इतने सारे संकेतकों के बीच कोई भी भ्रमित हो सकता है। लेकिन जानकार बताते हैं कि अच्छे ट्रेडर किसी एक या दो पर ही महारत हासिल कर लेते हैं। उन्हें अपनी मानसिकता के हिसाब से जज्ब कर लेते हैं और अच्छी कमाई करते हैं। वहीं तमाम संकेतकों के चक्कर में पड़नेवाले अपनी पूंजी गंवाते रहते हैं और हमेशा परेशान रहते हैं कि हिसाब ज्यों का त्यों, कुनबा डूबा क्यों

इसलिए ट्रेडिंग में कामयाबी का मंत्र यह है कि जानकारी तो सब की रखो। लेकिन अपने हिसाब से चुनो एक या दो। कारण, कोई भी भगवान नहीं है। कोई भी संकेतक 100% सटीक नहीं है। हर संकेतक कुछ अहम डाटा छोड़ देता है। फिर हर खरीदनेवाले के सामने एक बेचनेवाला तैयार है। खरीदने से शेयर बढ़ता है, बेचने से गिरता है। एक पर एक। 50-50% चांस। भाव और वोल्यूम का मेल। असली मसला है कि ठीक इस वक्त कौन-सी सोच ज्यादातर लोगों पर हावी है। इस सामूहिक तत्व को पकड़ना ही असली कला है। इसका साइंस है जो हम आपके लिए पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कला तो आपको ही मांजनी पड़ेगी और तभी आपकी कमाई भी होगी। हम तो केवल आपकी राह आसान करने का यत्न कर रहे हैं।

मैंने हाल ही में पढ़ा और मुझे आश्चर्य भी हुआ कि कई कामयाब ट्रेडर एक ही संकेतक नहीं, बल्कि एक ही स्टॉक या इंडेक्स में ट्रेड करते हैं। बाकी दूसरी तरफ देखते भी नहीं। ऐसा फोकस और अपने पर भरोसा बहुत बड़ी चीज़ है। ध्यान रखें कि बस एक तत्व या कारक ट्रेडिंग के लिए अहम होता है – डिमांड और सप्लाई का संतुलन। सप्लाई का पलड़ा भारी है या डिमांड का। सप्लाई ज्यादा रहने पर हर स्टॉक गिरता है। इस दौर में शॉर्ट सेलिंग से कमाओ। फिर स्टॉक का भाव एक बेस, आधार पकड़ता है। वहां से डिमांड बननी और बढ़नी शुरू होती है। नीचे बेस के इसी बिंदु पर खरीदकर ऊपर के स्तर पर ठहरने तक बेच देना। रैली, बेस, ड्रॉप। ड्रॉप, बेस, रैली। डिमांड और सप्लाई ज़ोन की सही शिनाख्त बाज़ार में तसल्ली से नोट कमाने का मौका देती है। यही असली सच है। बाकी तो शोर है, हल्ला है।

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