न खुला तहखाना, न खुला खजाने का रहस्य

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तिरुवनंतपुरम के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के छठे तहखाने को खोलने की इजाजत देने से मना कर दिया। उसका आदेश है कि मंदिर का छठा तहखाना तब तक न खोला जाए जब तक उसका अगला फैसला न आ जाए। कोर्ट ने फैसले की तारीख, गुरुवार 14 जुलाई मुकर्रर की है।

हल्ला है कि केरल के इस सदियों पुराने प्रसिद्ध मंदिर के पांच तहखानों से अब तक 5 लाख करोड़ का खजाना निकल चुका है। छठा तहखाना शुक्रवार को खोला जाना था। लेकिन अब इसका रहस्य अगले हफ्ते गुरुवार के बाद ही खुल सकता है। खास बात यह भी है कि लोगों के मन में ऐसी धारणाएं थी कि अगर छठा तहखाना खोल दिया गया तो पूरा मंदिर ही गिर जाएगा। लेकिन जांच के बाद ऐसी किसी भी आशंका को निराधार बताया गया।

इतना ही नहीं, कहा जा रहा है कि मंदिर के छठे तहखाने को खोलने से पहले आवश्यक पूजा-पाठ की जरूरत है। एक चर्चा यह भी है कि मंदिर के अब तक नहीं खुले इस आखिरी तहखाने से लंबी सुरंग निकली है जिसका एक सिरा वहां के राजा के महल और दूसरा समुद्र तक जाता है।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आर वी रवींद्रन और न्यायमूर्ति ए के पटनायक की पीठ ने याचिकाकर्ता त्रावणकोर के राजकुमार रहे राजा मार्तण्ड वर्मा और केरल सरकार से कहा कि वे प्राचीन मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उचित सुझावों के साथ आएं। अदालत का मानना है कि देवता और मंदिर के गर्भगृह पर नजरें रखने की बजाय बहुत से लोगों की आखें अब वहां के तहखानों पर होंगी।

त्रावणकोर के राजकुमार रहे राजा मार्तण्ड वर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने जिरह के दौरान स्पष्ट किया कि मंदिर सार्वजनिक संपत्ति है और राज परिवार के किसी भी सदस्य ने इसकी अकूत धन संपदा पर किसी स्वामित्व या अधिकार का दावा नहीं किया है। उन्होंने पीठ को बताया कि राज परिवार का कोई भी सदस्य मालिकाना हक का दावा नहीं कर रहा है। यह एक सार्वजनिक मंदिर है। इसका कोई भी हिस्सा परिवार के किसी सदस्य से संबंधित नहीं है। सारी संपत्ति भगवान पद्मनाभस्वामी की है।

बता दें कि मंदिर के न्यासी राज परिवार ने राज्य सरकार द्वारा मंदिर का प्रशासन कब्जे में लिए जाने के फैसले को चुनौती दी है जिसे केरल हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। शुक्रवार को अधिवक्ता वेणुगोपाल ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर से मिली संपत्ति के मूल्य का आकलन प्रमाणिक नहीं है क्योंकि यह मीडिया की कयासबाजी मात्र है। शीर्ष अदालत ने छह जुलाई को पिछली सुनवाई में मंदिर के कक्षों में तहखानों के खजाने तक जाने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी का निर्देश दिया था।

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