शेयर बाज़ार के ट्रेडर का यूं फ्यूचर्स को छोड़ ऑप्शंस की तरफ भागना काफी चिंताजनक है। कारण यह है कि ऑप्शंस को खरीदना भले ही फ्यूचर्स की तुलना में बहुत सस्ता हो, लेकिन ऑप्शंस में घाटे की खोह बहुत गहरी और उसकी गणना काफी जटिल है, जबकि फ्यूचर्स में घाटे की गणना सीधी-सरल व आसान है। निफ्टी फ्यूचर्स में एक समय तीन ही सीरीज अपलब्ध होती है। जैसे अभी जुलाई, अगस्त व सितंबर की सीरीज में सौदे कर सकते हैं। वहीं, निफ्टी ऑप्शंस महीने के हैं और सप्ताह के भी। ऊपर से इनमें तीन सीरीज़ और तमाम स्ट्राइक भाव। इसलिए कोई ट्रेडर या रिटेल निवेशक गलत पड़े ऑप्शंस सौदों कितना घाटा उठा सकता है, इसकी गणना करने के चक्कर में वह चकरघिन्नी बन सकता है। ट्रेडर इस समय बेहद पसोपेश में हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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