प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवा, महिला, गरीब व किसान की जो चार जातियां गिनाईं, उनकी सरकार इनमें से किसी की भी हितैषी नहीं है। दिक्कत यह है कि वो समूचे बिजनेस समुदाय की भी परवाह नहीं करती। उसे परवाह है तो चंद देशी-विदेशी उद्योगपतियों की, जो उन पर भरपूर चंदा और खजाना लुटाते हैं। साथ ही उनका एजेंडा संघ परिवार के तमाम अकर्मण्य लोगों को कहीं न कहीं सत्ता से जुड़ी कुर्सियों पर एडजस्ट कर देना है। इस चक्कर में अगर देश की अर्थव्यवस्था डूबती है तो उसकी पुकार को वे आंकड़ों से शोर में दबा ले जाते हैं। चीन मोदी की तारीफ करता है क्योकि मोदीराज में उसका माल भारत में ज्यादा खप रहा है। अमेरिका के बड़े निवेश बैंक जेपी मॉर्गन चेज़ के सीईओ जेमी डीमन कहते हैं कि मोदी ने भारत में अविश्वनीय काम किया है। उद्योग संगठन सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पुरी मोदी के कुशल नेतृत्व की तारीफ करते नहीं थकते। लेकिन ज़मीनी हकीकत यही है कि देश के जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का योगदान मोदीराज के दस सालों में बढ़ने के बजाय घट गया है। वित्त वर्ष 2014-15 में यह 16.1% हुआ करता था, जबकि 2022-23 में घटकर 15.6% पर आ गया। मेक-इन इंडिया, ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस और पीएलआई स्कीम के शोरगुल के बावजूद ऐसा हुआ है। भारतीय बिजनेस का बड़ा हिस्सा दुखी है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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