टेक्समैको रेल एंड इजीनियरिंग लिमिटेड पहले के.के. बिड़ला समूह की कंपनी टेक्समैको लिमिटेड में समाहित थी। लेकिन अक्टूबर 2010 से हैवी इंजीनियरिंग व स्टील फाउंड्री डिवीजन को अलग कर नई कंपनी टेक्समैको रेल एड इंजीनियरिंग बना दी गई। अब मूल कंपनी टेक्समैको के पास रीयल एस्टेट व मिनी हाइडेल पावर प्लांट का धंधा ही बचा है। इस तरह टेक्समैको से निकली टैक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग ही एक तरह से असल कंपनी है जो मुख्यतः भारतीय रेल के वैगन बनाती है। कोलकाता की कंपनी है। पुरानी रेल मंत्री ममता बनर्जी भी कोलकाता, पश्चिम बंगाल की हैं और उनके मुख्यमंत्री बन जाने के बाद रेल राज्यमंत्री बने मुकुल रॉय भी कोलकाता के हैं।
टेक्समैको रेल एंड इजीनियरिंग का शेयर कल बीएसई (कोड – 533326) में 4.39 फीसदी बढ़कर 76.15 रुपए और एनएसई (कोड – TEXRAIL) में 5.09 फीसदी बढ़कर 76.45 रुपए पर बंद हुआ है। इस बढ़त की खास वजह हैं, एक दिन पहले सोमवार 23 मई को घोषित उसके नतीजे। चूंकि नई कंपनी सही मायनों में 1 अप्रैल 2010 से ही वजूद में आई है। इसलिए पहले से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। लेकिन टेक्समैको की रेल व स्टील फाउंड्री डिवीजन से तुलना करें तो मार्च 2011 की तिमाही में टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग का शुद्ध लाभ 78.5 फीसदी बढ़कर 43.57 करोड़ रुपए और आमदनी 18 फीसदी बढ़कर 368 करोड़ रुपए हो गई है।
पूरे साल की बात करें तो वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान बिक्री के महज 4 करोड़ बढ़कर 1117.50 करोड़ होने के बावजूद कंपनी का शुद्ध लाभ 44.3 फीसदी बढ़कर 121.48 करोड़ रुपए हो गया है। कंपनी की इक्विटी 18.18 करोड़ रुपए है जो एक रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। शुद्ध लाभ को कुल इक्विटी शेयरों की संख्या से भाग देने पर कंपनी का मौजूदा ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 6.68 रुपए निकलता है। इस तरह उसका शेयर अभी 11.4 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर का कोई इतिहास नहीं है क्योंकि उसकी ट्रेडिंग इसी साल 3 मार्च 2011 से शुरू हुई है। लेकिन उसके मौजूदा मूल्यांकन को सस्ता ही माना जाएगा।
कंपनी यकीनन निवेशकों के हितैषी होने का रुझान रखती है। तभी तो अपने स्वतंत्र वजूद के पहले ही साल में उसने एक रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर एक रुपए यानी 100 फीसदी का लाभांश घोषित किया है। उसकी इक्विटी का 36.69 फीसदी हिस्सा पब्लिक और बाकी 63.31 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। पब्लिक के हिस्से में भी 3.63 एफआईआई और 20.17 फीसदी डीआईआई (घरेलू निवेशक संस्थाओं) के पास हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 24,225 है।
आपको शायद पता ही होगा कि के.के. बिड़ला समूह में चंबल फर्टिलाइजर्स, जुआरी इंडस्ट्रीज और हिंदुस्तान टाइम्स की प्रकाशक एचटी मीडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। असल में बिड़ला परिवार के दामाद सरोज कुमार पोद्दार ने जब से समूह की बागडोर संभाली है, वे इसे नया स्वरूप देने में जुट गए हैं। उन्होंने इस समूह को एडवेंट्ज़ (Adventz) ग्रुप की नई पहचान दी है। वे समूह की सभी प्रमुख कंपनियों की रीस्ट्रक्चरिंग में जुट गए हैं। टेक्समैको का मामला दुरुस्त करने के बाद वे जुआरी इंडस्ट्रीज में कुछ नया करने जा रहे हैं।
टेक्समैको से अलग हटकर टेक्समैको रेल ने बेहतर बैलेंस शीट दिखा दी है। मुख्यतया रीयल एस्टेट में रह गई मूल कंपनी टेक्समैको को अभी दिल्ली में अपने रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए कोर्ट की मंजूरी का इंतजार है। सरोज कुमार पोद्दार दोनों ही कंपनियों के चेयरमैन हैं। हालांकि यह भी तथ्य है कि विभाजन के बाद कंपनी के शेयरधारकों को तात्कालिक नुकसान हुआ है।
डीमर्जर के तहत टेक्समैको के हर शेयरधारक को बराबर मात्रा में टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग के शेयर दिए गए थे। डीमर्जर पर अमल से ठीक पहले 29 अक्टूबर 2010 को टेक्समैको का शेयर बीएसई में 161.65 रुपए पर बंद हुआ था। कल 24 मई 2011 को बीएसई में टेक्समैको लिमिटेड का शेयर 26.30 रुपए और टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग का शेयर 76.15 रुपए पर बंद हुआ है। इस तरह दोनों का वर्तमान सम्मिलित भाव 102.45 रुपए होता है जो अविभाजित कंपनी के आखिरी शेयर भाव 161.65 रुपए से 36.62 फीसदी कम है। खैर, जो बीत गई, सो बात गई। अब हमें आगे का देखना चाहिए।
आखिर में आपसे कहना चाहता हूं कि आप वही धन निवेश करें जो आपकी जरूरत से इफरात है। लेकिन इस अतिरिक्त धन को भी तब तक निवेश न करें जब तक जहां निवेश कर रहे हैं, उसका पूरा फंडा समझ में न आ जाए। बिना समझे एक दमड़ी भी न तो किसी को देनी चाहिए और न ही लगानी चाहिए। वैसे भी आपकी बचत बैंक में ही तो पड़ी है। सुरक्षित है, कहीं भागी तो नहीं जा रही। हां, मुद्रास्फीति की दर से कम ब्याज मिलने के कारण उसका मूल्य कम हो रहा है। लेकिन वहां आपका मूलधन सही-सलामत है। बिना समझे, लालच में आकर निवेश करेंगे तो यह मूलधन भी चला जाएगा और आपके पास पछताने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं होगा।