दुनिया पर भले ही नई आर्थिक मंदी का संकट मंडरा रहा हो। लेकिन हमारा देश इंडिया यानी भारत इस वक्त भयंकर ही नहीं, भयावह विश्वास के संकट के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं। समूची सरकार और उसमें बैठी पार्टी के आला नेता झूठ बोलते हैं। सरकार का हर मंत्री झूठ बोलता है। छोटे-बड़े अफसर भी बेधड़क झूठ बोलते हैं। हालत उस कविता जैसी हो गई है कि राजा बोला रात है, रानी बोलीऔरऔर भी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल के पहले साल में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से भाषण दिया था कि देश को जनसंख्या विस्फोट से निपटना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि जो लोग छोटा परिवार रख रहे हैं, वह भी एक प्रकार की देशभक्ति है। लेकिन 13 दिसंबर 2020 को मोदी सरकार इस ‘देशभक्ति’ से पलट गई। उसने देश में दो बच्चों का मानक लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाऔरऔर भी

तंत्र के भीतर तंत्र। सत्ता के समानांतर सत्ता। भारतीय समाज व अर्थतंत्र में ऊपर-ऊपर दिख रही धाराओं के नीचे न जाने कितनी धाराएं बह रही हैं। ये विलुप्त सरस्वती भी हो सकती हैं और घातक कर्मनाशा भी। सहारा समूह ऐसी ही एक अनौपचारिक धारा का नाम है। धंधा तो है लोगों से पैसे जुटाना। लेकिन तरीका आम बैंकिंग से एकदम अलग। धंधे पर कई-कई परतों के परदे। तरह-तरह की बातें। कुछ भी पारदर्शी नहीं। पारदर्शिता के नामऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने काफी हद तक सहारा समूह का पक्ष स्वीकार कर लिया है, जबकि उसके खिलाफ लड़ रहे पूंजी बाजार नियामक, सेबी और निवेशकों के समूह की शिकायत है कि अदालत ने उनका पक्ष सुना ही नहीं। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश अलतमस कबीर और जस्टिस एस एस निज्जर व जे चेलामेश्वर की बेंच ने फैसला सुनाया कि सहारा समूह की दो कंपनियों – सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन,औरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को बड़ी राहत दे दी। कोर्ट ने निजी चीनी मिल मालिकों को तीन महीने के भीतर गन्ना किसानों का सारा बकाया चुकाने का निर्देश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए निजी मिल मालिकों को पेराई सत्र 2008-09 और 2010-11 के किसानों के सारे बकाये का भुगतान तीन महीने के भीतर कर देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मिल मालिकों से किसानोंऔरऔर भी

सरकारी सहायता न पानेवाले अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़कर देश के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को अपनी 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होंगी और उन्हें मुफ्त में शिक्षा देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनाए गए ऐतिहासिक फैसले में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। इसलिए इसे अपनाने की आखिरी कानूनी अड़चन हट गई है। सुप्रीम कोर्ट में तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने बहुमत से येऔरऔर भी

2जी लाइसेंसों के निरस्त होने के मद्देनजर भारतीय दूरसंचार उद्योग में रोजगार में जबरदस्त कमी आने की आशंका है। 2जी लाइसेंस निरस्त किए जाने से प्रभावित कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी भी शुरू कर दी है। मानव संसाधन क्षेत्र में सक्रिय फर्म टीमलीज सर्विसेज की महाप्रबंधक (सेवाएं) मधुबाला वैद्यनाथन ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, ‘‘जिन कंपनियों के 2जी लाइसेंस रद्द किए गए हैं, उनमें से ज्यादातर अपने कर्मचारियों की संख्या घटा रही हैं। यहऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने देश में दवाओं के अवैध क्लीनिकल परीक्षण पर चिंता जताई है और सरकार से इसे रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है। कोर्ट में जस्टिस आर एम लोढ़ा और एच एस गोखले की खंडपीठ ने सोमवार को अपनी टिप्पणी में कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को इसे ठीक करने के उपाय करने होंगे।” पीठ ने केन्द्र सरकार और भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) से इस मामले में छह सप्ताह के भीतर अपनाऔरऔर भी

वोडाफोन समूह को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के चार घंटे के भीतर ही भारत सरकार के पास जमा कराए गए 2500 करोड़ रुपए वापस मिल गए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कल, मंगलवार को सरकार की वह पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जिसमें हचिसन एस्सार को वोडाफोन के खरीदने पर 2.2 अरब डॉलर (11,000 करोड़ रुपए) का टैक्स लगाने की मांग की गई थी। वोडाफोन समूह के चीफ फाइनेंस अफसर (सीएफओ) एंडी हाफर्ड ने बुधवारऔरऔर भी

सरकार अगले साल जनवरी-फरवरी तक 2जी सेवा समेत स्पेक्ट्रम नीलामी की प्रक्रिया पूरी कर सकती है। यह बात वित्त सचिव आर एस गुजराल ने सोमवार को उद्योग संगठन सीआईआई द्वारा आयोजित एक समारोह में कही। गुजराल ने कहा ‘‘नीलामी कार्यक्रम के संबंध में दूरसंचार विभाग ने वित्त मंत्रालय को जो संकेत दिए हैं, उसके अनुसार यह प्रक्रिया अगले साल जनवरी-फरवरी तक पूरी हो जाएगी।’’ सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2012 को अपने निर्णय में दूरसंचार मंत्री एऔरऔर भी