अगर आप शेयरों की ट्रेडिंग में दिलचस्पी रखते हैं तो डब्बा ट्रेडिंग का नाम ज़रूर सुना होगा। हर गैर-कानूनी काम की तरह यह भी हल्के-फुल्के मुंगेरीलाल टाइप लोगों को खूब खींचता है। कोई लिखा-पढ़ी नहीं, रिकॉर्ड नहीं, सारा लेनदेन कैश में, सारी कमाई काली। फिर इनकम टैक्स देने या रिटर्न भरने का सवाल ही नहीं। सारे सौदे स्टॉक एक्सचेंज के बाहर होते हैं तो सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन का सवाल ही नहीं उठता। साथ ही कोई दिक्कत आने याऔरऔर भी

विचित्र, किंतु सत्य है कि शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कमाई शिव का धनुष तोड़ने जैसा पराक्रम हो गया है। बड़े-बड़े महारथी बड़े दम-खम और दावे के साथ ट्रेडिंग में उतरते हैं। लेकिन शिव का धनुष तोड़ने की बात तो छोड़िए, उसे टस से मस तक नहीं कर पाते। मैं यह बात हवा में नहीं, बड़े-बड़े महारथियों से बातचीत के आधार पर कह रहा हूं। कुछ दिन पहले की बात है। इंजीनियरिंग छोड़कर होलटाइम ट्रेडिंग में लगेऔरऔर भी

वजहें और भी हैं पिछले कुछ सालों में शेयर बाज़ार से हमारी दूरियां बढ़ने की। पर खास वजह है मल्टीबैगर के नाम पर केवल और केवल स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स का लालच फेंकना। न जाने कितने निवेशकों का धन ऐसी कंपनियों में आधे या एक तिहाई से भी नीचे आ चुका है। तथास्तु देश की एकमात्र ऐसी संतुलित और भरोसेमंद सेवा है जो आपके लालच को नहीं, भविष्य को संवारती है। लंबे निवेश का एक और मौका…औरऔर भी

दो हफ्ते पहले गुजरात-महाराष्ट्र से सटे आदिवासी इलाके में सर्वोदय मंडल का काम देखने गया था तो बेहद उत्साही बुजुर्ग खंडेलवाल जी से मिलना हुआ। उम्र 84 साल। पहले सीए थे। अब पिछले तीस सालों से सामाजिक कार्यकर्ता हैं। शेयर बाज़ार में पहले निवेश करते थे। अब उसकी कमाई समेट रहे हैं। उन्होंने हिंद लीवर का शेयर एक रुपए में लिया था। अभी 700 के आसपास है। लंबे निवेश का यही फायदा है। आज एक लार्ज-कैप स्टॉक…औरऔर भी

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की शुरुआत जब 3 जुलाई 1990 को हुई, तब निफ्टी 279 पर था। 23 साल बाद तमाम उतार-चढ़ावों के बाद बावजूद 3 जुलाई 2013 को निफ्टी 5771 पर बंद हुआ। सालाना चक्रवृद्धि दर निकालें तो निफ्टी में लगा धन इन 23 सालों में हर साल 14.08% बढ़ा है। एफडी पर टैक्स के बाद रिटर्न 6-7% से ज्यादा नहीं बनता। शेयर बाज़ार में लंबे समय के निवेश का यही फायदा है। ध्यान दें किऔरऔर भी

देश के इक्विटी बाजार में उतरनेवाला नया स्टॉक एक्सचेंज, एमसीएक्स एसएक्स पूरी तैयारी कर चुका है और बहुत मुमकिन है कि 13 नवंबर को दीवाली के मंगल अवसर पर या इससे पहले ही एक्सचेंज में ट्रेडिंग शुरू कर दे। एक्सचेंज के उप-चेयरमैन जिग्नेश शाह ने सोमवार को मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया, “नौ साल पहले 18 नवंबर को हमने अपने कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स की शुरुआत की थी। हमारी कोशिश एमसीएक्स एसएक्स की शुरुआत भी नवंबरऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से लेकर क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी तक के स्वामित्व व स्वरूप पर अपनी अंतिम नीति जारी कर दी है। सेबी के बोर्ड ने सोमवार को अपनी बैठक में बिमल जालान समिति की सिफारिशों के आधार पर नीतिगत फैसले लिए हैं। तय हुआ है कि किसी भी स्टॉक एक्सचेंज की 51 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी पब्लिक के पास होगी। कोई भी स्टॉक एक्सचेंज अपने यहां खुद को लिस्ट नहीं करा सकता।औरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की बड़ी मुश्किल आसान कर दी है। अब शेयर बाजारों में लिस्टेड कोई भी कंपनी न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक शेयरधारिता हासिल करने के लिए सीधे अपने शेयर बेच सकती है। इसके लिए उसे कोई पब्लिक इश्यू लाने की जरूरत नहीं होगी। वह ऐसा इंस्टीट्यूशन प्लेसमेंट प्रोग्राम (आईपीपी) या स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए ब्रिकी प्रस्ताव लाकर कर सकती है। सेबी के बोर्ड ने मंगलवार को अपनी बैठक मेंऔरऔर भी

कंपनियों के सामने चुनौती होती है साल दर साल ही नहीं, हर तिमाही लगातार बढ़ते रहने की। कभी 15 तो कभी 20 फीसदी या इससे भी ज्यादा तो और भी अच्छा। किसी तिमाही झटका लगा तो हम-आप मुंह बनाने लगते हैं कि कैसी कंपनी है जो बढ़ती नहीं। निरंतर विकास की इसी जरूरत को पूरा करने के लिए वित्तीय बाजार, खासकर शेयर बाजार अस्तित्व में आया। लेकिन धीरे-धीरे यह लोगों की बचत को खींचने का नहीं, लूटनेऔरऔर भी

तमाम विशेषज्ञ कहते फिरते हैं कि आम निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश केवल म्यूचुअल फंडों के जरिए करना चाहिए। एक बार पुरानी नौकरी के दौरान राकेश झुनझुनवाला से आम निवेशकों के लिए नए साल के निवेश पर सलाह मांगने गया था तो उन्होंने ऐसा ही दो-टूक जवाब दिया था। ये लोग पुराने जमाने के ओझा-सोखा की तरह कहते हैं कि बडा कठिन है किसी आम निवेशक के लिए सीधे शेयरों में निवेश करने की समझ हासिलऔरऔर भी