कौन तोड़ेगा ट्रेडिंग का ये शिव-धनुष!

विचित्र, किंतु सत्य है कि शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कमाई शिव का धनुष तोड़ने जैसा पराक्रम हो गया है। बड़े-बड़े महारथी बड़े दम-खम और दावे के साथ ट्रेडिंग में उतरते हैं। लेकिन शिव का धनुष तोड़ने की बात तो छोड़िए, उसे टस से मस तक नहीं कर पाते। मैं यह बात हवा में नहीं, बड़े-बड़े महारथियों से बातचीत के आधार पर कह रहा हूं। कुछ दिन पहले की बात है। इंजीनियरिंग छोड़कर होलटाइम ट्रेडिंग में लगे एक नौजवान के दिल का राज़ खुला तो मैं दंग रह गया।

पहले उसके हावभाव और बातचीत से लगता था कि वो महीने में ट्रेडिंग से एक लाख तो कमा ही रहा होगा। एक दिन उसके एक ट्रेडर मित्र ने, जो पिछले दो साल में दुबई में काम कर रहे जीजा के करीब 30 लाख रुपए ट्रेडिंग में डुबा चुका है, उसको बताया कि वह ट्रेडिंग छोड़कर अब एचडीएफसी के होमलोन विभाग में काम करने लगा है और उसे 15,000 रुपए महीने की पगार मिल रही है। फौरन इंजीनियर से ट्रेडर बने शख्स ने कहा, गुरु मेरी भी नौकरी लगवा दे। अब उनके मित्र के चौंकने की बारी थी। साफ हो गया कि अगर सामनेवाला ट्रेडिंग से महीने में लाख रुपए कमा रहा होता तो 15,000 रुपए की नौकरी के लिए इस कदर चिरौरी नहीं करता।

फिर उनसे मेरी अलग से बात हुई। मैने उस तथाकथित ट्रेडिंग एक्सपर्ट ने कहा कि अगर आप चाहें तो दिल्ली के एक ब्रोकरेज हाउस ने नौकरी डॉट कॉम पर पांच प्रोफेशनल ट्रेडरों की नियुक्ति का ऑफर पेश किया है। इस काम में तनख्वाह नहीं है, बल्कि मुनाफे में 50 फीसदी हिस्सा दिया जाएगा। हर महीने आपको कम से कम 50 लाख की ट्रेडिंग पूंजी मिलेगी। उनके पास ब्लूमबर्ग जैसी न्यूज़ एजेंसी की सेवा है। साथ में ट्रेडिंग के अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर हैं। यानी, पूरा सेट-अप उनका। आपको बस ट्रेडिंग करनी है। जितना कमाओ, उसका आधा हिस्सा आप महीने के अंत में घर ले जाओ।

मुझे पक्की उम्मीद थी कि वे इस पेशकश पर गदगद हो जाएंगे और खुशी-खुशी हां बोल देंगे। लेकिन उन्होंने बड़े खास अंदाज़ में अकड़ के साथ इसे ठुकरा दिया। उनका कहना था, “मैं ट्रेडिंग करूंगा तो अपने पैसे से। दूसरों के पैसे से मैं ट्रेड नहीं करना चाहता।” मैंने कहा तो कुछ नहीं। लेकिन मन ही मन समझ गया कि अगर इस इंसान में अपने हुनर व ज्ञान पर आत्मविश्वास होता तो वह कतई यह ऑफर नहीं ठुकराता। यानी, इतनी हवाबाज़ी और लमतड़ानी के पीछे का सच यह है कि इसे भरोसा ही नहीं है कि वो ट्रेडिंग से कमा सकता है।

दिल्ली में कुछ महीने पहले दिल्ली के एक ब्रोकिंग हाउस वेल्थ डिस्कवरी सिक्यूरिटीज़ के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक राजीव अग्रवाल से यूं ही मुलाकात हो गई। मूलतः बरेली के रहनेवाले अग्रवाल जी बड़े बेबाक अंदाज़ में बोले, “मैं 15 साल से ट्रेडिंग कर रहा हूं और मेरा अनुभव है कि शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कोई नहीं कमा पाता।” आपके पास भी ऐसे तमाम उदाहरण होंगे। लोग फटाफट कमाने के चक्कर में किसी ब्रोकर या सब-ब्रोकर के यहां हफ्तों-महीनों तक हर दिन घंटों बिताते हैं। आखिर में सारी बचत गंवाकर डिप्रेशन में चले जाते हैं। एक और सज्जन का जिक्र मैने कई हफ्ते पहले किया था जो आईसीआईसीआई बैंक की नौकरी छोड़कर ट्रेडिंग से हर दिन कम से कम 10,000 रुपए कमाने का मंसूबा बांधे हुए हैं।

क्या आप भी ऐसी ही फितरत या नशे के शिकार तो नहीं? हैं तो रामायण सीरियल में सीता के स्वयंवर का एपिसोड फिर से देख डालिए या तुलसीदास के रामचरित मानस का वो हिस्सा पढ़ डालिए। सोचिए कि बड़े-बड़े महारथी शिव के उस धनुष को क्यों नहीं हिला पाए जिसे सीता ने बाएं हाथ से उठाकर यहां से वहां रख दिया था। यह भी सोचिए कि कैसे राम ने उसे उठाया ही नहीं, तोड़ भी दिया।

दो-तीन बातें इस मिथकीय उदाहरण से जानी, समझी और सीखी जा सकती हैं। राम यकीकन पराक्रमी थे। लेकिन यह पराक्रम उन्होंने गुरु विश्वामित्र की निगरानी में असुरों से संघर्ष करके हासिल किया था। इसलिए पहला सबक तो यह है कि अच्छा निर्देशन और कठिन कठोर अभ्यास करना जरूरी है। लक्ष्मण बड़े चंचल स्वभाव के थे, जबकि राम भयंकर तनाव की स्थिति में भी शांत रहना जानते थे। परशुराम के गुस्से को लक्ष्मण चिढ़ा-चिढ़ाकर भड़काते रहे। लेकिन राम सारी स्थिति दत्त-चित्त होकर शांति से भांपते रहे। इसलिए दूसरा सबक यह है कि किसी भी विकट स्थिति में मन का आपा नहीं खोना चाहिए।

तीसरी और सबसे अहम बात यह है कि राम को शिव के धनुष का सारा इतिहास-भूगोल पता था। उसकी रत्ती-रत्ती से वे वाकिफ थे। वे जानते थे कि किस कोण से उसे उठाया-गिराया या तोड़ा जा सकता है। अगर आप ट्रेडिंग का शिव-धनुष तोड़नेवाले राम बनना चाहते हैं तो आपको बाज़ार की रत्ती-रत्ती से वाकिफ होना पड़ेगा। बाज़ार में वास्तविक शक्ति-संतुलन क्या है, इसका पता लगाना पड़ेगा। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई), बैंक, म्यूचुअल फंड व बीमा कंपनियों को समेटते घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई), ब्रोकरों के प्रॉपराइटरी ट्रेड, जॉबरों का असर, नई जमाने की हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफडी) और अल्गोरिदम ट्रेडिंग (एटी) की स्थिति। यह सारा कुछ आपके दिमाग में शतरंज की 64 गोटों की तरह साफ होना चाहिए।

दिक्कत यह है कि इतनी सारी जानकारी आप जुटाएंगे कहां से? हमारी पूंजी नियामक संस्था सेबी और स्टॉक एक्सचेंज एक तो इतना डाटा उपलब्ध नहीं कराते। दूसरे उपलब्ध भी कराते हैं तो इतने दुरूह फॉर्मैट में कि हम उसे समझ ही नहीं पाते, उसी तरह जैसे लोमड़ी को सुराही में रखी मछली खाने की दावत दे दी जाए। सारा खेल सूचनाओं का है और सूचनाएं आजकल सेकंड में नहीं, नैनो सेकंड में सात समुंदर पार कर जाती हैं।

फिर हम आखिर कर क्या सकते हैं? हार मानकर मैदान छोड़ देने से कुछ नहीं होगा। अर्थकाम में हमने ठान ली है कि डाटा की तलहटी में पैठ कर सच को निकालकर ही रहेंगे। जहां तक सूचनाओं की बात है तो सूचनाओं की गति कितनी भी तेज़ हो जाए, वह प्रकाश की गति से ज्यादा नहीं हो सकती। और, मानव दिमाग की तरंगों की गति, विचारों की गति प्रकाश की गति से भी ज्यादा तेज़ होती है। इसलिए मित्रों! हो सकता है कि यह आपको हमारा बड़बोलापन लगे, लेकिन हमें यकीन है कि हम एक दिन ट्रेडिंग के शिव-धनुष को तोड़नेवाले एक नहीं, हज़ारों राम तैयार लेंगे। तथास्तु…

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