सुप्रीम कोर्ट का विशेष जांच दल (एसआईटी) अगले महीने अगस्त के तीसरे हफ्ते तक अपनी पहली रिपोर्ट पेश कर देगा। इससे विदेशी बैंकों में रखे भारतीयों के काले धन पर तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी। इससे तमाम चिंताओं पर विराम लग जाएगा। और, सुप्रीम कोर्ट की फटकार सहने के बावजूद यूपीए सरकार को यह कहने का मौका मिलेगा कि उसने अपना काम कर दिखाया है। इधर, सरकार के एजेंडे में आर्थिक सुधार फिर से केंद्रऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट का भरोसा इस बात से उठ गया है कि केंद्र सरकार विदेश बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन का पता लगाकर उसे वापस लाएगी। इसलिए उसने खुद इस काम के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया है। इस दल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी करेंगे और सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज न्यायमूर्ति एम बी शाह इस दल में उपाध्यक्ष के बतौरऔरऔर भी

आदिवासी इलाकों में स्थित राशन दुकानों में खराब खाद्यान्न दिए जाने का आरोप लगाते हुए वामपंथी दल सीपीएम ने इसकी जांच विशेष निगरानी एजेंसी से कराए जाने और गोदामों में पड़ा खाद्यान्न गरीबों में वितरित किए जाने की मांग की है। बता दें कि करीब सात महीने पहले अगस्त 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने खाद्यान्न के कुप्रबंधन पर केंद्र सरकार को लताड़ पिलाई थी और कहा था कि बरबाद हो रहा अनाज मुफ्त में गरीबों को बांटऔरऔर भी

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करनेवाले लोगों के खिलाफ औपचारिक तौर पर मामला दर्ज किए जाने के बाद वह उन सभी लोगों के नाम सार्वजनिक कर देगी। न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने के आरोपियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए हैंऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने शीतल पेय में कीटनाशक की मात्रा पर केरल सरकार द्वारा पेप्सिको इंडिया के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को दरकिनार कर दिया है। कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अल्तमास कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया। केरल सरकार ने पेप्सिको इंडिया के खिलाफ निर्धारित सीमा से अधिक मात्रा में कीटनाशक वाले शीतल पेय बेचने के लिए आपराधिक कार्यवाही शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट पहले केऔरऔर भी

दो-तीन दिसंबर 1984 की रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्टरी में जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसाव के कारण मरे करीब 20,000 लोगों और पीढी दर पीढ़ी विकलांगता झेलते कई लाख लोगों को आखिरकार ‘न्याय’ मिल गया। इसके लिए केशब महिंद्रा समेत आठ लोगों को दोषी ठहरा दिया गया है। इसमें से एक की मौत हो चुकी है। बाकी बचे साल लोगों को दो साल की सजा सुनाई गई है और इन पर एक-एक लाख रुपएऔरऔर भी

विदेशी मुद्रा के डेरिवेटिव सौदे इसीलिए होते हैं कि आयातक-निर्यातक डॉलर से लेकर यूरो व येन तक की विनिमय दर में आनेवाले उतार-चढ़ाव से खुद को बचा सकें और डेरिवेटिव सौदे कराने का काम मुख्य रूप से हमारे बैंक करते हैं। लेकिन अगस्त 2006 से अक्टूबर 2008 के दौरान जब रुपया डॉलर के सापेक्ष भारी उतार-चढ़ाव का शिकार हुआ, तब बैंकों ने हमारे निर्यातकों को ऐसे डेरिवेटिव कांट्रैक्ट बेच दिए जिनसे उनको तो फायदा हो गया, लेकिनऔरऔर भी

देश की अदालतों में इस समय चेक बाउंस के 38 लाख से ज्यादा मामले दाखिल हैं।  इनसे आजिज आकर अब सुप्रीम कोर्ट ने आउट-ऑफ-कोर्ट निपटारे के लिए दिशानिर्देश बना दिए हैं। चेक बाउंस को 1989 में दंडनीय अपराध माना गया और 2002 से इसमें समरी ट्रायल का प्रावधान किया गया। अब तय हुआ है कि अगर जिसका चेक बाउंस हुआ है, वह निचली अदालत के फैसले को चुनौती देता है तो उस पर दंड की रकम बढ़तीऔरऔर भी