इस बाजार की बलिहारी है। 10 जून को आईएफसीआई ने सूचित किया कि तीन-तीन एजेंसियों – इक्रा, केयर व ब्रिकवर्क रेटिंग ने उसकी रेटिंग बढ़ा दी है। लेकिन इस अच्छी खबर के ठीक तेरह दिन बाद 23 जून को आईएफसीआई का शेयर 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 42.55 रुपए पर पहुंच गया। महीने भर बाद अब भी उसी के आसपास डोल रहा है। शुक्रवार, 22 जुलाई को एनएसई (कोड – IFCI) में 46.85 रुपए और बीएसई (कोडऔरऔर भी

इधर बैंक जमकर म्यूचुअल फंडों के लिए सिप (सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान) का इंतजाम कर रहे हैं। मार्च 2009 में म्यूचुअल फंडों के सिप खातों की संख्या 18 लाख थी। दो साल में मार्च 2011 तक यह संख्या दो गुने से ज्यादा 42 लाख हो गई। इससे बैंकों को भी अपनी शुल्क-आधारित आय बढ़ाने में मिल रही है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई का लक्ष्य मार्च 2012 तक 25 लाख सिप यूनिट बेचने का है। एक्सिस बैंकऔरऔर भी

शुक्रवार की सुबह-सुबह देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज, बीएसई में कमाल हो गया। टीसीएस का शेयर गुरुवार के बंद भाव 1125.25 रुपए से एकबारगी 20 फीसदी बढ़कर 52 हफ्ते के शिखर 1350.20 रुपए पर जा पहुंचा। फिर अचानक 20 फीसदी का गोता लगाकर 900.25 रुपए पर चला गया। इसी तरह रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) एकबारगी 20 फीसदी गिरकर 693.55 रुपए पर पहुंच गया, जो 52 हफ्ते का उसका न्यूनतम स्तर है। फिर पलक झपकते ही 20 फीसदीऔरऔर भी

टीसीएस ने कल उम्मीद से बेहतर नतीजे घोषित किए और शॉर्ट कवरिंग के चलते इसका शेयर खुला ही काफी ज्याद बढ़कर। लेकिन फिर मुनाफावसली शुरू हो गई तो तेजी फिलहाल आज के लिए थोड़ी थम गई। फिर भी कुल मिलाकर कल से दो फीसदी बढ़त के साथ बंद हुआ है। बाजार भी सुबह 5631.70 तक जाने के बाद नीचे आ गया। असल में यूरोपीय बैंकों के स्ट्रेस टेस्ट से पहले तमाम शॉर्ट सौदे करनेवाले थोड़ा दबाव मेंऔरऔर भी

दुनिया के बाजारों की पस्ती हमारे बाजार में भी पस्ती का सबब बन गई। इटली में बांडों मूल्यों का अचानक गिर जाना और ऑस्ट्रेलिया में कोयला खनन पर टैक्स लगाने जैसी बातों ने माहौल को और बिगाड़ दिया। फिर भी भारतीय बाजार अपेक्षाकृत संभले रहे। मिड-कैप स्टॉक्स में देशी-विदेशी फंडों की खरीद जारी है। एप्टेक, एलएमएल, एसीसी और टाटा मोटर्स के नॉन वोटिंग शेयरों वगैरह को तवज्जो मिल रही है। निफ्टी गिरा जरूर, लेकिन 5600 के नीचेऔरऔर भी

देश का सबसे बडा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इस साल दिसंबर तक विदेशी ऋण से पांच अरब डॉलर जुटाने की सोच रहा है। यह ऋण एमटीएन (मीडियम टर्म नोट) कार्यक्रम के तहत हासिल किया जाएगा। एसबीआई के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक प्रतीप चौधरी ने राजधानी दिल्ली में वित्त मंत्री के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों की बैठक के इतर पत्रकारों से चर्चा में कहा कि आर्थिक विकास में तेजी आने पर यदि ऋण कीऔरऔर भी

बीएसई सेंसेक्स में शामिल 30 शेयरों में पांच ऐसे हैं जिन्होंने चालू साल 2011 की पहली छमाही में बाजार को मात दी है। 3 जनवरी 2011 को बाजार में कारोबार के पहले दिन और छमाही के आखिरी दिन 30 जून 2011 को सेंसेक्स और इन शेयरों के बंद भाव के अंतर को देखकर साफ हो जाता है कि कैसे इन्होंने बाजार की दिशा से अलग हटकर बढ़त हासिल की है। सेंसेक्स के ये पांच पांडव है –औरऔर भी

सेटलमेंट का आखिरी दिन। निफ्टी 5600 के ऊपर डटा रहा। 5657.90 तक जाने के बाद 5634.90 पर बंद हुआ। साफ संकेत अगली बढ़त का। महीने का अंत आते-आते मैंने अपना जो लक्ष्य आपको बताया था, वह 5735 पर कायम है। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और एसबीआई ने बाजार को उठने में मदद की है। हालांकि आरआईएल में अब भी बढ़त की काफी गुंजाइश बाकी है। जब तक यह 880 रुपए के नीचे नहीं जाता, तब तक इसमें रुझानऔरऔर भी

बाजार तेजी का हो तो मुझे अलग से अपनी राय या विचार रखने की जरूरत नहीं है। निफ्टी 5600 तक जा पहुंचा है। यह अपने-आप में ही बहुत कुछ कह जाता है। इसने उन तमाम पंटरों व विशेषज्ञों को गलत साबित कर दिया जो कह रहे थे कि इसका 5500 तक पहुंचना भी असंभव है। मैं बाजार के टिके रहने और इस सेटलमेंट में आगे बढ़ने की चार खास वजहें देखता हूं। एक, ग्रीस के ऋण संकटऔरऔर भी

हम इस सेटलमेंट में निफ्टी के उच्च स्तर को अब पार कर चुके हैं। इससे 5500 पर फंसे सभी निवेशकों को निकलने की राह मिल गई है। हालांकि बहुत दूर की कौड़ी यह भी है कि इस स्तर भी लांग रहा जा सकता था। दूसरी तरफ निफ्टी नीचे में 5185 तक चला गया। यह फिसलन इतनी तेज थी कि ट्रेडर लगातार बेचते हुए अपनी औसत लागत घटाते रहे ताकि वह 5300 पर आ जाए। फिर भी बाजारऔरऔर भी