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savings account

डाकघर बचत पर ज्यादा ब्याज की शुरुआत जल्द

2011-11-11
By: अनिल रघुराज
On: November 11, 2011
In: गौरतलब, वित्त बाजार

वित्त मंत्रालय कुछ ही दिनों में डाकघर के बचत खातों पर ब्याज की सालाना दर 3.5 फ़ीसदी से बढ़ाकर 4 फ़ीसदी करने की अधिसूचना जारी कर देगी। बता दें कि इस फैसले की सूचना दो दिन पहले ही आर्थिक मामलों के सचिव आर गोपालन अनौपचारिक तौर पर दे चुके हैं। असल में रिज़र्व बैंक ने 25 अक्टूबर को मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा के दौरान जब से बैंकों के बचत खाते की ब्याज दरों को नियंत्रण-मुक्तऔरऔर भी

डाकघर बचत खातों के ब्याज पर लगेगा टैक्स

2011-06-16
By: अनिल रघुराज
On: June 16, 2011
In: अर्थव्यवस्था, गौरतलब, वित्त बाजार

सरकार ने चालू वित्त वर्ष से डाकघर के बचत खातों पर मिलने वाले ब्याज पर आयकर लगाने का फैसला किया है। वैसे बैंकों के बचत खातों से मिलने वाले ब्याज पर पहले से आयकर लगता रहा है। बैंक बचत खाते पर मौजूदा ब्याज की दर 4 फीसदी सालाना है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा हाल में जारी अधिसूचना के अनुसार, व्यक्तिगत खातों पर 3500 रुपए से अधिक के ब्याज पर आयकर देना होगा। वहीं संयुक्त खातोंऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने चौंकाया, बचत खाते पर ब्याज दर 4%; ब्याज दरें 0.5% बढ़ीं

2011-05-03
By: अनिल रघुराज
On: May 3, 2011
In: अर्थव्यवस्था, नवा-जूनी, वित्त बाजार

रिजर्व बैंक ने देश के करीब पचास करोड़ बैंक ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए बचत खातों पर ब्याज दर तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दी है। यह दर 1 मार्च 2003 से ही 3.5 फीसदी पर अटकी हुई थी। 24 अप्रैल 1992 से लेकर तब तक बचत खाते पर ब्याज की दर 6 फीसदी सालाना थी। इस तरह इन दरों को करीब 19 साल बाद बढ़ाया गया है। रिजर्व बैंक गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव नेऔरऔर भी

रिजर्व बैंक बचत खातों पर ब्याज दर को 4% कर चौंका सकता है सब को

2011-05-02
By: अनिल रघुराज
On: May 2, 2011
In: अर्थव्यवस्था, नवा-जूनी, वित्त बाजार

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति में अब सस्पेंस या चौंकाने जैसी चीज नहीं रह गई है। हर किसी को पता है कि वह रेपो व रिवर्स दर में 0.25 फीसदी वृद्धि कर ब्याज दरें बढ़ाने का संकेत देगा। बहुत हुआ तो यह वृद्धि 0.50 फीसदी हो सकती है। इसके अनुरूप मंगलवार से रेपो दर 6.75 फीसदी से बढ़कर 7 या 7.25 फीसदी और रिवर्स रेपो दर 5.75 फीसदी से बढ़कर 6 या 6.25 फीसदी हो जाएगी। लेकिनऔरऔर भी

बेस दर की होड़ में बचत खाते की ब्याज दर से भी हटाया जा सकता है नियंत्रण

2010-06-17
By: अनिल रघुराज
On: June 17, 2010
In: अर्थव्यवस्था, नवा-जूनी, वित्त बाजार

अगले महीने की पहली तारीख, 1 जुलाई 2010 से बैंकों में बेस रेट लागू करने की तैयारियां आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुकी हैं। निजी क्षेत्र के बैंक हरचंद कोशिश में हैं कि कैसे अपना बेस रेट सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कम रखा जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक उनके पास आएं। गुरुवार को उनकी इस होड़ में नया पहलू तब जुड़ गया जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गर्वनर के सी चक्रबर्ती ने कह दियाऔरऔर भी

अप्रैल से बचत खाते पर रोजाना ब्याज

2010-02-16
By: अनिल रघुराज
On: February 16, 2010
In: बैंकिंग, वित्त बाजार

नए वित्त वर्ष 2010-11 के पहले दिन यानी 1 अप्रैल 2010 से देश के करीब 62 करोड़ बचत खाताधारकों के लिए एक नई शुरुआत होने जा रही है। इस दिन से उन्हें अपने बचत खाते में जमा राशि पर हर दिन के हिसाब से ब्याज मिलेगा। ब्याज की दर तो 3.5 फीसदी ही रहेगी। लेकिन नई गणना से उनकी ब्याज आय पर काफी फर्क पड़ेगा। इस समय महीने की 10 तारीख से लेकर अंतिम तारीख तक उनकेऔरऔर भी

निवेश – तथास्तु

  • निवेश का सबसे बड़ा दुश्मन बैठा अंदर
    7 Dec 2025

    देश के 80% परिवार इतना भी कमा नहीं पाते कि कहीं निवेश कर सकें। बाकी 20% में भी बहुतेरे ऐसे हैं जो जमकर कमाने के बाद भी कुछ बचा नहीं पाते। इनके लिए धन हाथ की मैल नहीं, बल्कि पानी की तरह है जो कोई न कोई जरिया खोजकर बहता रहता है। धन लोगों की आदतों, बर्ताव, भावनाओं, चाहतों, विश्वास, लालच, सुरक्षा व स्वभाव के अनुरूप कहीं टिकता तो कहीं फिसलता रहता है। दुनिया में मूल्यवान निवेश […]

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क्या आप जानते हैं?

  • हमारी आंखें बैक्टीरिया के जीन की देन!

    इंसान से लेकर हाथी, घोड़ा, गाय-बैल, सांप, छिपकली, मेढक, मगरमच्छ व चिड़ियों तक धरती पर जितने भी 69,963 किस्म के रीढ़वाले या कशेरुकी (vertebrates) जीव-जन्तु हैं, उन्होंने देखने की क्षमता वाली अपनी आंखें एक बैक्टीरिया के जीन से हासिल की है। यह सच अप्रैल 2023 में पीएनएएस (प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज) की …

अपनों से अपनी बात

  • साल में 41-112%, मिले है सिर्फ यहां!

    भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और आगे भी बढ़ेगी। लेकिन कहा जा रहा है कि इसका लाभ आम आदमी को पूरा नहीं मिलता। अमीर-गरीब की खाईं बढ़ रही है। बाज़ार को आंख मूंदकर गालियां दी जा रही हैं। लेकिन बाज़ार सचेत लोगों के लिए आय और दौलत के सृजन ही नहीं, वितरण का काम भी करता है। हमने तथास्तु सेवा इसीलिए शुरू की है ताकि अर्थव्यवस्था, खासकर कंपनियों के बढ़ने का लाभ निपट गरीबी से ऊपर रहनेवाले लोगों तक पहुंचाया जा सके। वे जिन्हें बैंक बहुत हुआ तो 9 प्रतिशत देता है, जबकि वास्तविक महंगाई की दर 10 प्रतिशत से ऊपर रहती है। वे भागकर जाते हैं सोने और रीयल एस्टेट में चले जाते हैं तो उनकी बचत लॉक हो जाती है। देश के काम नहीं आती। खुद उनके कितने काम आएगी, यह भी पक्का नहीं। जो पिछले साढ़े चार सालों से अर्थकाम से जुड़े हैं, वे हमारी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से भलीभांति वाकिफ हैं। शुरू में हम भी कच्चे थे तो बाज़ार के उस्तादों के जाल में फंस गए। गलतियां कीं। लेकिन जैसे ही समझ में आया, खटाक से उनसे किनारा कस लिया। करीब सवा साल पहले से नए सिरे से शुरू किया तो मजबूत आधार और गहन रिसर्च के साथ। उसी का नतीजा है कि हमारी सलाहें शानदार-जानदार रिटर्न दे रही हैं। पिछली बार हमने अगस्त 2013 से अगस्त 2014 तक का लेखाजोखा रखा था। अब सितंबर 2013 से सितंबर 2014 की बानगी पेश है। सितंबर 2013 में पांच रविवार थे तो पांच कंपनियां। आप नीचे की सारिणी से देख सकते हैं कि पांच में चार ने अपना (तीन से पांच साल का) लक्ष्य साल भर में ही पूरा कर लिया है, जबकि एक कंपनी 84.57 प्रतिशत रिटर्न के साथ लक्ष्य से ज़रा-सा पीछे है। तारीख कंपनी तब का भाव समय लक्ष्य 30/09/14 का भाव रिटर्न (%) 01/09/13 डॉ. रेड्डीज़ लैब 2292.90 3 साल 2815 3229.60 40.85 08/09/13 एचडीएफसी बैंक 616.20 3 साल 850 872.65 41.62 15/09/13 अतुल ऑटो 173.65 5 साल 260 367.90 111.86 22/09/13 कमिन्स इंडिया 409.25 3 साल 474 671.05 63.97 29/09/13 नवनीत एजुकेशन 53.15 3 साल 110 98.10 84.57   यहां यह भी गौर करने की बात है कि हम आमतौर पर हर महीने लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉल कैप का संतुलन बनाकर चलते हैं। यह भी बताते हैं कि कहां पर एंट्री करें और आपके पास कुल एक लाख रुपए हों तो उस हफ्ते की कंपनी में कितना लगाना चाहिए, उसके कितने शेयर खरीदने चाहिए। मसलन, सितंबर 2013 में हमने तीन लार्जकैप, एक मिडकैप और एक स्मॉल कैप कंपनी आपके निवेश के लिए पेश की थी। इसमें से लार्ज कैप कंपनियों में डॉ. रेड्डीज़ लैब का शेयर लक्ष्य हासिल कर चुका है और यही नहीं, 24 सितंबर 2014 को 3356.60 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर पकड़ चुका है। एचडीएफसी बैंक भी लक्ष्य हासिल करने के साथ ही 30 सितंबर 2014 को 879.80 रुपए का शिखर हासिल कर चुका है। कमिन्स इंडिया भी लक्ष्य हासिल कर लेने के साथ 4 सितंबर 2014 को 720 रुपए पर 52 हफ्ते का शीर्ष छू चुका है। स्मॉल कैप की श्रेणी वाला स्टॉक अतुल ऑटो साल भर में 111.86 प्रतिशत का रिटर्न देकर लक्ष्य के काफी आगे निकल चुका है। यही नहीं, 12 सितंबर 2014 को वो 446.90 रुपए का शिखर भी चूम चुका है। बाकी बची मिडकैप कंपनी नवनीत एजुकेशन में तीन साल का लक्ष्य 110 रुपए था। उसका शेयर 10 सितंबर 2014 को 104.90 रुपए तक जाने के बाद 30 सितंबर को 2014 को 98.10 रुपए पर था, जो साल का 84.97 रिटर्न दिखाता है। आप ऊपर की सारिणी से देख सकते हैं कि 1 सितंबर 2013 से 30 सितंबर 2014 तक की अवधि में तथास्तु में बताई पांच कंपनियों ने न्यूनतम 40.85 प्रतिशत और अधिकतम 111.86 प्रतिशत रिटर्न दिया है। इसी दौरान एनएसई निफ्टी ने 5550.75 से 7964.80 तक जाकर 43.49 प्रतिशत और बीएसई सेंसेक्स ने 18,886.13 से 26,567.99 तक पहुंचकर 40.67 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। दोस्तों! पुरानी बात फिर दोहरा रहा हूं कि मात्र 200 रुपए में अगर कोई सवा आपको बाज़ार से ज्यादा रिटर्न दिला रही है, वो भी आपको आपकी भाषा में अच्छी तरह कंपनी की जानकारी देकर तो क्या इस सेवा को आपका और आपको इस सेवा का लाभ नहीं मिलना चाहिए। बढ़ रही अर्थव्यवस्था का लाभ उठाइए। यकीन मानिए कि मोदी की सरकार बस एक निमित्त मात्र है। वो रहे या कोई और आए, अगले दस साल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जबरदस्त प्रगति के साल होने जा रहे हैं। इस दौरान एक साल में दोगुना ही नहीं, दस साल में अपनी बचत से दस गुना दौलत बनाने के मौके बहुत सारे आएंगे। दूसरे आपको बस उल्लू बनाएंगे। केवल हम ही हैं जो पूरी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से आपके लिए निवेश के हर रविवार को शानदार मौके लेकर आते रहेंगे। तुलसीदास की चौपाई याद कीजिए – सकल पदारथ है जन मांही, कर्महीन नर पावत नाहीं। आपके हिस्से का कुछ कर्म हम कर दे रहे हैं। बाकी तो आपको ही करना पड़ेगा। इसलिए…. सोचिए। समझिए। फैसला कीजिए। तथास्तु!!!

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ट्रेडिंग – बुद्ध

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    1 Dec 2025

    हम शेयर बाज़ार में जो भी सौदे करते हैं, उसके लिए अंततः खुद ज़िम्मेदार होते हैं। इसे स्वीकार करेंगे, तभी अपने तौर-तरीकों और रणनीति को आगे सुधार सकते हैं। लेकिन यहां तो हर कोई सफलता का श्रेय खुद लेता है, जबकि नाकामी के लिए अपने अलावा हर किसी को दोषी ठहरा देता है। इंटरनेट सुस्त था, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म सही नहीं था, बीवी-बच्चों या कुत्ते ने परेशान कर रखा था, सलाह देनेवाला गलत निकला। दरअसल, हम गलत साबित […]

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