रिजर्व बैंक ने दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में हमारी अर्थव्यवस्था में 7.5% ही गिरावट आएगी, जबकि उसका पिछला अनुमान 9.5% की गिरावट का था। अगर ऐसा होता है कि इसका श्रेय भारतीय अवाम और उद्योग क्षेत्र को जाएगा, सरकार को नहीं। कारण, अब तक सरकार के सारे घोषित पैकेज ज़मीनी धरातल पर नाकाम और महज दिखावा साबित हुए हैं। जहां सरकार को जीडीपी बढ़ाने के लिए अपनाऔरऔर भी

देश की आर्थिक विकास दर जून से सितंबर 2011 तक की तिमाही में 6.9 फीसदी रही है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो सालों से ज्यादा वक्त में किसी भी तिमाही में हुई सबसे कम विकास दर है और लगातार तीसरी तिमाही में 8 फीसदी से नीचे रही है। चिंता की बात यह है कि इस दौरान मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर मात्र 2.7 फीसदी रही है, जबकि खनन क्षेत्र बढ़ने के बजाय 2.9 फीसदी घटऔरऔर भी

श्री रेणुका शुगर्स में निवेश करने की सलाह सात-आठ महीने पहले शुरू हो गई थी। अक्टूबर से दिसंबर 2010 के बीच सभी ललकार कर कहते हैं कि इसे खरीद लो, इसमें अच्छा रिटर्न मिलेगा। लेकिन तब यह शेयर बहुत बेहतर स्थिति में था। नवंबर में 108.15 रुपए तक चला गया जो 52 हफ्ते का उसका उच्चतम स्तर है। जनवरी में उसका सर्वोच्च स्तर 101.50 रुपए रहा। लेकिन अजीब बात है कि जो शेयर अक्टूबर से दिसंबर-जनवरी तकऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कुछ दिन पहले कहा था कि इस साल जुलाई-सितंबर की तिमाही में देश के आर्थिक विकास दर अप्रैल-जून की तिमाही की विकास दर 8.8 फीसदी के काफी करीब रहेगी। दूसरे अर्थशास्त्री और विद्वान कल तक कह रहे थे कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में जिस तरह कमी आई है, उसे देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में बढ़त की यह दर 8 से 8.3 फीसदी ही रहेगी। लेकिन केंद्रीयऔरऔर भी

देश की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष 2010-11 की दूसरी तिमाही में भी पहली तिमाही में हासिल विकास दर 8.8 फीसदी के आसपास रहने की उम्मीद है। यह कहना है वित्त सचिव अशोक चावला। सोमवार को राजधानी दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने यह उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह (सितंबर 2010 की तिमाही में जीडीपी विकास दर) पहली तिमाही से काफी करीब होगी।” बता दें कि सकल घरेलू उत्पाद याऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने बैंकों के होमलोन धंधे और बढ़ती प्रॉपर्टी कीमतों पर लगाम लगाने के नए कदम उठाए हैं। मंगलवार को पेश मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा में उसने बैंकों को टीजर होमलोन देने से हतोत्साहित करने की भी कोशिश की है। इन कदमों का मसकद यही है कि कहीं बैंकों का उतावलापन भविष्य में उनकी परेशानी का सबब न बन जाए। सबसे पहले तो उसने तय कर दिया है कि कोई भी बैंक मकान कीऔरऔर भी