हम ज़मीन को छोड़े बगैर आसमान में उड़ना चाहते हैं! कार चलाना आ गया तो मान बैठते हैं कि हवाई जहाज़ भी उड़ा लेंगे। सोने व रीयल एस्टेट को जान लिया तो सोचते हैं कि शेयर बाज़ार और फॉरेक्स बाज़ार पर भी सिक्का जमा लेगे। यह संभव नहीं है क्योंकि भौतिक अर्थव्यवस्था और फाइनेंस की अर्थव्यवस्था में सचमुच ज़मीन आसमान का अंतर है। डिमांड, सप्लाई और दाम का रिश्ता यहां भी है और वहां भी। लेकिन समीकरणऔरऔर भी

आप शेयर बाज़ार में अच्छी तरह ट्रेड करना चाहते हैं तो आपको मानव मन को अच्छी तरह समझना पड़ेगा। आखिर बाज़ार में लोग ही तो हैं जो आशा-निराशा, लालच व भय जैसी तमाम मानवीय दुर्बलताओं के पुतले हैं। ये दुर्बलताएं ही किसी ट्रेडर के लिए अच्छे शिकार का जानदार मौका पेश करती हैं। निवेश व ट्रेडिंग के मनोविज्ञान पर यूं तो तमाम किताबें लिखी गई हैं। लेकिन उनके चक्कर में पड़ने के बजाय यही पर्याप्त होगा किऔरऔर भी

मुंबई में प्रॉपर्टी की कीमतें पिछले तीन साल में 180% बढ़ चुकी हैं। दूसरी तरफ, ताजा खबरों के मुताबिक यहां 80,000 फ्लैट अनबिके पड़े हैं। सप्लाई भी ज्यादा और भाव भी ज्यादा!! ऐसा इसलिए क्योंकि अनबिके फ्लैट 4000-7000 वर्गफुट के हैं जिनकी औसत कीमत 1.4 करोड़ रुपए है। इतने बड़े फ्लैट तो भयंकर अमीर ही ले सकते हैं। अगर यही फ्लैट औसतन 5000 वर्गफुट के बजाय 1000 वर्गफुट के होते तो आज 4 लाख फ्लैट ऐसे होतेऔरऔर भी

किसी समय पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने दुनिया में खाने-पीने की चीजों की बढ़ती महंगाई के लिए भारत व चीन जैसे देशों में आम लोगों की बढ़ती क्रयशक्ति को जिम्मेदार ठहराया था। अब मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पेट्रोलियम तेल की कीमतों में हो रही वृद्धि के लिए भारत, चीन व ब्राजील जैसे देशों में बढ़ रही मांग को जिम्मेदार ठहरा दिया है। साथ ही उन्होंने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वियों पर तेल कीमतों में वृद्धिऔरऔर भी

रोजमर्रा के उपयोग की चीजें बनानेवाली कंपनियों ने दो-तीन सालों से सिलसिला चला रखा है कि दाम स्थिर रखते हुए वे पैक का साइज या वजन घटा देती हैं। उनका तर्क रहता है कि वे कच्चे माल की लागत को समायोजित करने के लिए ऐसा करती है। लेकिन अगले साल जुलाई से वे ऐसा नहीं कर पाएंगी। सरकार पारदर्शिता लाने में जुट गई ताकि ग्राहक को सही-सही पता रहे कि वह कितने दाम में कितना सामान खरीदऔरऔर भी

अर्थव्यवस्था पर नजर रखनेवाली प्रमुख शोध संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) का आकलन है कि मानसून खत्म होने के बाद निर्माण गतिविधियों में तेजी आएगी जिससे सीमेंट की कीमतों में तेजी आ सकती है। सीएमआईई ने अपनी मासिक समीक्षा में कहा है कि मानसून के बाद निर्माण गतिविधियों में तेजी की संभावना है। इससे सीमेंट की मांग बढ़ सकती है। नतीजतन सीमेंट की कीमत चढ़ेगी। रिपोर्ट के अनुसार मई के बाद मांग नरम पड़ने सेऔरऔर भी

गन्ना पेराई वर्ष 2010-11 में पहली अक्टूबर से 15 फरवरी तक देश में चीनी उत्पादन 1.34 करोड़ टन रहा है। यह पिछले वर्ष की इसी अविध के 1.15 करोड़ टन उत्पादन से 16 फीसदी ज्यादा है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया, ‘‘इस साल चीनी मिलों ने 15 फरवरी तक कुल 1.34 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया है। यह इससे पिछले साल की समान अवधि से 16 फीसदीऔरऔर भी

सरकार पश्चिम एशिया, विशेषकर मिस्र की घटनाओं के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में आई तेजी पर नजर रखे हुए है और उसे विश्वास है कि वह तेल बाजार में उछाल से उत्पन्न स्थिति संभाल लेगी। यह आश्वासन दिया है वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने। बुधवार को वित्त मंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि हम स्थिति को संभाल लेंगे। पहले भी जब कच्चे तेल के दाम काफी बढ़करऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी जनवरी-मार्च तिमाही में लौह अयस्क (आइरन ओर) की कीमतों में तीन फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती है। इससे जेएसडब्ल्यू, एस्सार और टाटा स्टील जैसी इस्पात कंपनियां दाम बढ़ाने को प्रोत्साहित हो सकती हैं। समाचार एजेंसी प्रेस ट्रेस्ट के अनुसार कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘‘एनएमडीसी जनवरी से लौह अयस्क की कीमतें तीन फीसदी तक बढ़ा सकती है।’’ उन्होंने कहा कि मांग बढ़ने और वैश्विकऔरऔर भी