किसी समय पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने दुनिया में खाने-पीने की चीजों की बढ़ती महंगाई के लिए भारत व चीन जैसे देशों में आम लोगों की बढ़ती क्रयशक्ति को जिम्मेदार ठहराया था। अब मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पेट्रोलियम तेल की कीमतों में हो रही वृद्धि के लिए भारत, चीन व ब्राजील जैसे देशों में बढ़ रही मांग को जिम्मेदार ठहरा दिया है। साथ ही उन्होंने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वियों पर तेल कीमतों में वृद्धि का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
ओबामा ने यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी में छात्रों से कहा कि गैस की कीमतें घटाने के बारे में झूठे वादे करना दुनिया में सबसे आसान है। लेकिन एक ऐसी समस्या के समाधान का गंभीर व स्थाई वादा करना कठिन है जो एक वर्ष या एक कार्यकाल या यहां तक कि एक दशक में भी नहीं सुलझ सकती। बता दें कि इस समय कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 124 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी है। लेकिन इसकी खास वजह ईरान का संकट है जिसके पीछे अमेरिका का हाथ है।
ओबामा ने स्वीकार किया कि बढ़ रही गैस कीमतें अमेरिका के लोगों की जेब पर भारी पड़ रही हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि तेल की ऊंची कीमतों के लिए उनकी सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने इसके लिए चीन, भारत व ब्राजील में बढ़ रही मांग को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि लंबी अवधि तक तेल की कीमतें इसलिए बढ़ती रहेंगी क्योंकि चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों में मांग बढ़ रही है।
ओबामा ने कहा कि 2010 में अकेले चीन में लगभग एक करोड़ कार बढ़ गईं। यानी, एक साल में एक देश में एक करोड़ कार। सोचिए, इसके लिए कितने अधिक तेल की जरूरत होगी। ओबामा ने कहा कि चीन, भारत व ब्राजील में लोग अमेरिकियों की तरह ही कार खरीदने का सपना देखते है और ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
ओबामा ने कहा कि ऐसे में हमारे लिए इसका क्या अर्थ है? इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति आपसे कहता है कि हम इस समस्या से छुटकारा दिला सकते है, उसे यह पता ही नहीं है कि वह क्या कह रहा है या फिर वह आप से सच नहीं बोल रहा।