इंसान और विपक्ष का असली चरित्र तभी खुलता है जब उसे सत्ता मिलती है। तभी पता चलता है कि वो कितना संत था और कितना ढोंगी, उसकी बातों में कितनी लफ्फाजी थी और कितनी सच्चाई। संत तो सत्ता पाकर भी सृजनरत रहता है।और भीऔर भी

सत्ता की विश्वसनीयता हमेशा संदिग्ध होती है। इसलिए वह हर विरोधी आवाज़ को अविश्सनीय बनाने में जुटी रहती है। उसकी कोशिश रहती है कि हर व्यक्ति, हर संस्था को अविश्वसनीय बना दो ताकि लोग इसे आम मानकर हताश हो जाएं।और भीऔर भी

काले धन के मुद्दे पर विपक्ष ने बुधवार को सरकार की जमकर घेराबंदी की। इतना कि उसे लाल कर डाला। हर किसी दल ने इस कदर हमला किया कि सरकार को कोई जवाब देते नहीं बना। विपक्ष ने विदेश में जमा काले धन को स्वदेश लाने, वहां खाता रखने वाले भारतीयों को किसी भी तरह का संरक्षण नहीं देने और उनके नामों का खुलासा करने की मांग की। लोकसभा में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की ओर सेऔरऔर भी

अभी कुछ दिन पहले तक जो सरकार बढ़ती महंगाई के बीच राजनीतिक बवाल के डर से डीजल के मूल्यों को छेड़ने से डर रही थी, उसे विपक्ष ने ऐसा मौका दे दिया है कि वह बड़े उत्साह से इस पर मूल्य नियंत्रण उठाने की तैयारी में जुट गई है। इसका सबसे पहला वार उन लोगों पर होगा जो डीजल से चलनेवाली कारें इस्तेमाल करते हैं। लोकसभा में महंगाई पर चल रही बहस का जवाब देते हुए वित्तऔरऔर भी

कितने सारे भ्रम हम पाले रहते हैं! औरों के बारे में भ्रम, अपने बारे में भ्रम। नेताओं के बारे में भ्रम, पक्ष के बारे में भ्रम, विपक्ष के बारे में भ्रम। भ्रमों का जाल। संशयात्मा न बनें। पर अविश्वास करना तो सीखें।  और भीऔर भी