काले धन के मुद्दे पर विपक्ष ने बुधवार को सरकार की जमकर घेराबंदी की। इतना कि उसे लाल कर डाला। हर किसी दल ने इस कदर हमला किया कि सरकार को कोई जवाब देते नहीं बना। विपक्ष ने विदेश में जमा काले धन को स्वदेश लाने, वहां खाता रखने वाले भारतीयों को किसी भी तरह का संरक्षण नहीं देने और उनके नामों का खुलासा करने की मांग की।
लोकसभा में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की ओर से पेश कार्य स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए आडवाणी ने सरकार से मांग की कि विदेशी बैंकों में जमा कथित रूप से 25 लाख करोड़ रुपए देश में वापस लाने के तुरंत कदम उठाए जाएं और इस बारे में श्वेतपत्र जारी कर विदेश में काला धन रखने वाले सभी लोगों के नाम बताए जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार को विदेश में काला धन रखने वाले भारतीय लोगों के जो भी नाम मिले हैं, उन्हें संरक्षण देने के बजाय उनकी पूरी सूची तुरंत देश के सामने रखे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की उपस्थिति में बीजेपी नेता ने कहा कि विदेश में काला धन रखने वाले भारतीय लोगों से केवल टैक्स को लेकर बात खत्म नहीं कर देनी चाहिए बल्कि ऐसे लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। कांग्रेस के शिखंडी मनीष तिवारी ने विपक्ष के आरोपों का प्रतिवाद करते हुए कहा कि यह कहना गलत है कि काले धन की समस्या यूपीए सरकार ने पैदा की है। उन्होंने कहा कि दुनिया में निवेश होने वाला हर तीसरा डॉलर कर चोरी की किसी न किसी पनाहगाह के जरिए आता है। ऐसी पनाहगाहें 1920 और उसके बाद से ही बननी शुरू हो गई थीं।
तिवारी ने आरोप लगाया कि आयकर विभाग के जब्ती के अधिकार हल्के करने और मॉरीशस रूट को लेकर एनडीए शासन के समय अनुचित फैसले हुए। इस आरोप का खंडन करते हुए पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि मॉरीशस के साथ दोहरे कराधान से बचने वाली संधि 1982 में की गई थी। मॉरीशस रूट को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी संस्थागत निवेश के लिए तब खोला गया था, जब मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्त मंत्री हुआ करते थे। हमने उन्हीं नीतियों का अनुसरण किया, जो पहले की सरकारों ने बनाई थीं।
समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव ने कहा कि काले धन को चोरी का धन कहना चाहिए। देश पर जितना कर्ज है, उसका दोगुना काला धन है। क्या सरकार इस धन को स्वदेश लाने की हिम्मत करेगी। हमें लगता है इस सरकार में हिम्मत नहीं है। मुलायम ने सदन में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की मौजूदगी में चुटकी ली, “काला धन वापस लाओगे तो फिर सरकार बनाओगे।” बीएसपी के दारा सिंह चौहान ने कहा कि 25 से 30 लाख करोड़ रुपए काला धन विदेश में जमा है, यह एक अनुमान है लेकिन ऐसा कोई तथ्य नहीं है कि कितना काला धन विदेश में है।
जेडीयू के शरद यादव ने कहा, “इस देश का दुर्भाग्य देखिए कि अब तक ये पक्का नहीं कर पा रहे हैं कि भारत का कितना धन कर चोरी की पनाहगाहों में है। देश के सारे लोग जानते हैं कि स्विट्जरलैंड के बैंकों में काफी पैसा जमा है लेकिन वहां के बैंक गोपनीयता रखते हैं।” तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि विदेश में जमा भारतीयों के काले धन को किस प्रकार वापस लाया जाएगा, यह आज एक बड़ा सवाल है। बनर्जी ने सरकार से मांग की कि किसी भी कीमत पर इस काले धन को देश में वापस लाया जाना चाहिए।
सीपीएम मासांसद बासुदेव आचार्य ने कहा कि भारतीयों का सबसे अधिक काला धन विदेश में जमा है जो तीन साल पहले जहां 232 अरब डॉलर था तो वहीं अब यह बढ़कर 462 अरब डॉलर यानी 20 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि उसे इस धन को स्वदेश लाने में क्या दिक्कत पेश आ रही है। शिवसेना के अनंत गीते ने सरकार से जानना चाहा कि वह काले धन को वापस लाने के लिए क्या कदम उठाने जा रही है। अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने कहा कि काला धन रीयल इस्टेट में बड़ी मात्रा में लगाया जा रहा है और देश में जाली मुद्रा भी बड़े स्तर पर आ रही है। टीडीपी के एन नागेश्वर राव ने आडवाणी के कार्यस्थगन प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि काले धन पर नियंत्रण की जिम्मेदारी सरकार की है और कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी के बयान से लगता है कि वह सरकार का बचाव कर रहे हैं और इस तरह से सरकार गंभीर नहीं दिखाई देती।
आरजेडी के लालू प्रसाद यादव भी चुप नहीं रहे। उन्होने कहा कि लोग फर्जी कागजात पेश कर काला धन विदेशी बैंकों में रखने वाले लोगों के नाम जारी कर रहे हैं, जिसमें गलत तरह से उनका भी नाम आया है। अण्णा हज़ारे और बाबा रामदेव के आंदोलनों से भी राजनेताओं के खिलाफ नफरत का माहौल पैदा हो गया है जिसे समाप्त करने के लिए सरकार को काला धन रखने वालों के नाम जल्दी और संभव हो तो आज ही जारी करने चाहिए ताकि सचाई सामने आए और नेताओं को अपमानित नहीं किया जाए।