सतह की गहराई
सागर की अतल गहराई नापी जा सकती है। लेकिन सतह पर बैठे हुए खुलती परतों की गहराई नापना बेहद मुश्किल है क्योंकि हर परत एक नई दुनिया खोल देती है, पुरानी ही दुनिया को नए मायने दे देती है और आप अनंत गहराइयों में उतरते चले जाते हैं।और भीऔर भी
चिपकना निरर्थक
कुछ भी पूर्ण नहीं। कुछ भी अंतिम नहीं। इसलिए पुराने आग्रहों से चिपके रहने का कोई फायदा नहीं। नए को लपाक से पकड़ लें। पुराना उसमें सुधरकर समाहित हो जाएगा। पुराने को पकड़े रहे तो नया भरे हुए प्याले से बाहर ही छलकता रहेगा।और भीऔर भी
असुरक्षा भी ज़रूरी
ज़िंदगी में सुरक्षा की ही नहीं, असुरक्षा की भी ज़रूरत होती है। बूढ़े या असहाय लोग सुरक्षा की चाह रखें तो समझ में आता है। लेकिन नौजवानों के लिए यह चाह अच्छी नहीं क्योंकि असुरक्षा के बिना वे जीवन के तमाम जरूरी सबक नहीं सीख पाते।और भीऔर भी
नया-पुराना
नए विचारों का आना कोई समस्या नहीं। समस्या है तो पुराने विचारों का न जाना, कुंडली मारकर बैठे रहना। उनकी जकड़बंदी टूटे तभी तो नए की जगह बनेगी। अन्यथा नए विचार यूं ही आकर जाते रहेंगे।और भीऔर भी
2060 तक जापान की आबादी बचेगी दो-तिहाई
अगले 48 सालों में जापान की आबादी 32 फीसदी घट जाएगी और उसमें भी ज्यादातर बुजुर्ग होंगे। जापान के स्वास्थ्य व कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट का कहना है कि साल 2060 तक देश की आबादी घटकर 8.67 करोड़ रह जाएगी। अगर इसके बाद भी यही दशा जारी रही तो 2110 तक जापान में सिर्फ 4.92 करोड़ लोग बचे रहेंगे। फिलहाल जापान की आबादी 12.77 करोड़ है। जापान सरकार कोऔरऔर भी
अज्ञान से ज्ञान तक
पहले स्वीकार तो करें कि आप सब कुछ नहीं जानते, तभी जाकर नया जानने की प्रक्रिया शुरू होगी। नहीं तो आप हर नए ज्ञान की हामी अपने पुराने ज्ञान से भराते रहेंगे और गाड़ी जहां की तहां ही पड़ी रहेगी।और भीऔर भी
धारा आती-जाती
हर विचारधारा की उम्र होती है। किसी की कम तो किसी की थोड़ी ज्यादा। इसके बाद स्वार्थों के पैमाने में कसकर वे अपना सारतत्व खो देती हैं। इसीलिए पुरानी को तोड़ नई विचारधाराएं आती रहती हैं।और भीऔर भी