शेयर बाज़ार भले ही लंबे समय में कंपनियों के फंडामेंटल और निवेशकों के रवैये से चलता हो। लेकिन छोटे समय में वो ट्रेडरों के रुख और मानसिकता से चलता है। जिन लोगों ने पिछले तीन महीनों में बाज़ार को करीब 16.5% चढ़ाया था, उनके सब्र का बांध अब टूटने लगा है और वे मुनाफावसूली करने लगे हैं। इनमें से बहुतेरे ट्रेडर तो प्रति माह 1.5-2% ब्याज पर धन उठाकर लगाते हैं। मुनाफावसूली के माहौल में अगली रणनीति…औरऔर भी

बाज़ार की सायास नहीं, अनायास गति को पकड़ना आसान है। लेकिन कैसे? कुछ लोग इसे अल्गोरिदम ट्रेडिंग से पकड़ते हैं। यह कुछ नियमों का समुच्चय होती है। जैसे, पांच दिन का सिम्पल मूविंग औसत (एसएएमए) 20 दिन के एसएमए के बराबर या उससे ज्यादा हो तो खरीदो। वहीं पांच दिन का एसएएमए 20 दिन के एसएमए से कम हो तो शॉर्ट करो। ऐसे तमाम नियमों के अनुशासन में ट्रेडर को बंधना पड़ता है। अब सोमवार का सूत्र…औरऔर भी

मशहूर विश्लेषक मार्क फेबर का मानना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था इस समय साल 2008 से भी बदतर अवस्था में है। जबरन कम रखी ब्याज दरों का विस्तार अमेरिका से लेकर यूरोप तक हो चुका है। हर महीने 85 अरब डॉलर के नोट झोंकने के बावजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था संतोषजनक स्थिति में नहीं आ पाई है। भारत व चीन जैसे उभरते देश भी सुस्त पड़ते दिख रहे हैं। ऐसे माहौल में ऐसी कंपनी, जिसका आधार बड़ा मजबूत है…औरऔर भी

बंद भाव बड़ा महत्वपूर्ण है। तमाम विश्लेषणों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेयर के बंद भाव दिन के आखिरी भाव नहीं होते। दरअसल तीन से साढ़े तीन बजे तक जितने भी सौदे होते हैं, उनके भारित औसत से बंद भाव निकलता है। आप खुद एनएसई की वेबसाइट पर जाकर तस्दीक कर सकते हैं कि किस तरह बंद भाव अलग होता है और आखिरी भाव अलग। अब शुरुआत नए सप्ताह की…औरऔर भी

शुक्रवार को एनएसई में 1240 शेयरों में ट्रेडिंग, जिनमें 696 बढ़े, 476 घटे और 68 जहां थे, वहीं पड़े रहे। बढ़नेवाले शेयरों में कम से कम दस शेयर 3% से ज्यादा बढ़े तो गिरनेवालों में कम से कम दस ऐसे जो 1% से ज्यादा गिरे। टिप्स इन्हीं सैकड़ों शेयरों में से एक-दो शेयर छांटकर आपका काम थोड़ा आसान कर देती है। लेकिन कमाई इससे नहीं होती। वो होती है आपकी अपनी तैयारी और धन-प्रबंधन से। अब आगे…औरऔर भी

जो लोग अंदर हैं वे जानते हैं। लेकिन जो बाहर हैं उनके लिए शेयर बाज़ार किसी प्रेत-साधक तंत्र विद्या या वशीकरण मंत्र से कम नहीं। उनकी इस रहस्यमयी उत्सुकता ने बॉरेन बफेट, बेंजामिन ग्राहम या वान थार्प की किताबों को बेस्टसेलर बना रखा है। जबकि सच यह है कि समाज की रिस्क कैपिटल को नए उद्यमों तक पहुंचाने का जरिया है शेयर बाज़ार और ट्रेडिंग माहौल बनाने का काम करती है। अब पकड़ते हैं बाज़ार की चाल…औरऔर भी

पैसा बड़े-बड़ों को हिलाकर रख देता है। 50% डिस्काउंट मिले तो हम दोगुनी खरीदारी कर डालते हैं। साथ में कुछ मुफ्त ऑफर हो तो महंगी चीज़ तक खरीद डालते हैं। पैसा हमें भावनाओं की ऐसी भंवर में उलझा देता है जहां हम तर्कसंगत फैसले नहीं कर पाते, जबकि ट्रेडिंग तर्कसंगत व्यवहार की मांग करती है। पैसे पर फोकस रहेगा तो ट्रेडिंग में फिसल जाएंगे। कुशल ट्रेडिंग पर ध्यान रहेगा तो पैसा अपने-आप आएगा। अब आज की ट्रेडिंग…औरऔर भी

बहुत से चार्ट पैटर्न और इंडीकेटर उल्टे संकेत दें तो हम पक्का निर्णय नहीं ले पाते। ऐसे में संभावना पकड़कर चलना चाहिए। मगर, ज्यादातर लोग पक्का निर्णय चाहते हैं। वे अनिश्चितता को पचा नहीं पाते। मन से निर्णय करते हैं। मानते हैं कि बाज़ार उन्हें सही साबित करेगा। सही होने का यह गुरूर अक्सर उन्हें बहुत महंगा पड़ता है। बाज़ार के पलटते ही हमें बगैर चूं-चपट किए घाटा काटकर हट जाना चाहिए। जिद से बचें, बढ़ें आगे…औरऔर भी

अनुशासन के लिए ट्रेडर को चार रिकॉर्ड रखने चाहिए। इनमें से तीन का वास्ता पुराने सौदों के लेखा-जोखा से है, जबकि एक आगे की प्लानिंग का है। स्प्रेडसीट पर तारीख सहित हर सौदे का ब्यौरा; ट्रेडिंग पूंजी की घट-बढ़; ट्रेडिंग डायरी में हर सौदे की वजह से लेकर मनोभाव तक। चौथा रिकॉर्ड, अगले दिन का ट्रेडिंग प्लान। ये चार रिकॉर्ड आपको जिम्मेदार, प्रोफेशनल व कामयाब ट्रेडर बनने में मदद करेंगे। खुद को साधते हुए बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

चालू वित्त वर्ष 2010-11 की चौथी व आखिरी तिमाही में ज्यादा एडवांस टैक्स भरने रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे आगे है। उसने इस बार 1054 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स भरा है जबकि पिछले साल की चौथी तिमाही में यह 770 करोड़ रुपए था। टाटा स्टील ने इस बार 987 करोड़ का टैक्स जमा कराया है, जबकि पिछली बार यह रकम 513 करोड़ रुपए थी। कंपनियों के एडवांस टैक्स को उनकी आय का पैमाना जाता है। इसलिए लगता हैऔरऔर भी