प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शेयर बाजार बंद होने के बाद बुधवार शाम अपने मंत्रिमंडल में कुछ अपेक्षित व कुछ अनपेक्षित फेरबदल किए। शरद पवार अब केवल कृषि मंत्री रहेंगे और खाद्य व उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार के साथ इसी मंत्रालय के वर्तमान राज्यमंत्री के वी थॉमस को दे दिया गया है। जयपाल रेड्डी को पेट्रोलियम मंत्रालय सौंप दिया गया है, जबकि मुरली देवरा की उद्योग-प्रिय छवि को बरकरार रखते हुए उन्हें कॉरपोरेट कार्य मंत्री बनाऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने एक आदेश जारी कर सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय और उनके तीन सहयोगियों वंदना भार्गव, रविशंकर दुबे और अशोक रॉय चौधरी पर बंदिश लगा दी है कि वे अगले आदेश तक किसी भी प्रपत्र (सिक्यूरिटी) के जरिए पब्लिक से धन जुटाने के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई विज्ञापन, प्रॉस्पेक्टस या अन्य दस्तावेज जारी नहीं कर सकते। यह आदेश सेबी के पूर्णकालिक निदेशक के एम अब्राहम ने सहारा समूहऔरऔर भी

कंपनी लॉ बोर्ड में 31 जुलाई 2010 तक 2688 मामले लंबित हैं। बोर्ड में नियमतः कुल नौ पद हैं जिसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और सात अन्य सदस्य हैं। लेकिन उपाध्यक्ष और दो सदस्यों का पद खाली पड़ा है। इस तरह व्यावहारिक रूप से अभी बोर्ड में अध्यक्ष और पांच सदस्य ही हैं। कॉरपोरेट कार्य मंत्री सलमान खुर्शीद के मुताबिक लंबित मामलों की वजह सीएलबी के रिक्त पद नहीं है। उनका कहना है कि एक उम्मीदवार कोऔरऔर भी

कॉरपोरेट कार्य मंत्री सलमान खुर्शीद से अप्रैल में जब पूछा गया था कि आईपीएल की फ्रेंचाइची टीमों पर लगे आरोपों के खिलाफ उनका मंत्रालय खुद पहल कर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा तो उन्होंने पलटकर सवाल किया था कि उनके मंत्रालय से स्वतः कार्रवाई क्यों की जानी चाहिए। लेकिन अब खुर्शीद ने संसद में स्वीकार किया है कि आईपीएल की कई टीमों ने कंपनी कानून का उल्लंघन किया है और रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज से उनके खिलाफ दंडात्मकऔरऔर भी

सरकार की कथनी, करनी और सोच में भारी अंतर है। एक तरफ वह पूंजी बाजार को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहती है, दूसरी तरफ पब्लिक इश्यू में उसने रिटेल (एक लाख रुपए से कम निवेश करनेवाले) निवेशकों की संख्या महज 35 फीसदी तक सीमित कर दी है, जबकि पहले क्यूआईबी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल खरीदार) जैसे बड़े निवेशक नहीं थे और पूरे के पूरे इश्यू पब्लिक के लिए ही थे। यह कहना है पूंजी बाजार से जुड़ीऔरऔर भी

आम भारतीय मानसिकता संपत्ति को भौतिक रूप में देखने-महसूस करने की है। हम धन को गाड़कर रखते रहे हैं। अब भी जमीन से हमारा गहरा जुड़ाव है और हमारी आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा संपत्ति को भौतिक रूप में ही देखना चाहता है। लेकिन डीमैट के इस दौर में संपत्ति को भौतिक रूप से देखने का मनोविज्ञान नहीं चल सकता। इसे तोड़ना होगा, बदलना होगा, जिसके लिए शिक्षा जरूरी है। इससे हम नक्सली हिंसा व अशांति कोऔरऔर भी

केंद्र सरकार देश भर में निवेशकों के बीच जागरूकता बढ़ाने की मुहिम चलाने जा रही है। इसके तहत जुलाई के दूसरे हफ्ते में ‘इंडिया इनवेस्टर वीक’ मनाया जाएगा। यह पहल कॉरपोरेट मामलात मंत्रालय की तरफ से की जा रही है और इसकी केंद्रीय विषयवस्तु है – जानकार निवेशक, कॉरपोरेट भारत की संपदा (इनफॉर्म्ड इनवेस्टर – ऐन एसेट फॉर कॉरपोरेट इंडिया)। सोमवार को नेशनल फाउंडेशन फॉर कॉरपोरेट गवर्नेंस (एनएफसीजी) की संचालन परिषद की बैठक में कॉरपोरेट मामलात मंत्रीऔरऔर भी