करीब हफ्ते भर पहले ही खबर आई थी कि हर दिन करीब तीन करोड़ से ज्यादा यात्रियों को ढोनेवाली भारतीय रेल ने पिछले कई सालों से अपना बीमा नहीं करा रखा है और आये-दिन होनेवाली दुर्घटनाओं की भरपाई अपनी जेब से करती है। अब पता चला है कि मुंबई में आतंकवादी हमले का शिकार हुए ओपेरा हाउस व झावेरी बाजार के करीब एक-चौथाई हीरा व आभूषण व्यापारियों ने भी अपना बीमा नहीं करा रखा है। बॉम्बे बुलियनऔरऔर भी

टेक्समैको रेल एंड इजीनियरिंग लिमिटेड पहले के.के. बिड़ला समूह की कंपनी टेक्समैको लिमिटेड में समाहित थी। लेकिन अक्टूबर 2010 से हैवी इंजीनियरिंग व स्टील फाउंड्री डिवीजन को अलग कर नई कंपनी टेक्समैको रेल एड इंजीनियरिंग बना दी गई। अब मूल कंपनी टेक्समैको के पास रीयल एस्टेट व मिनी हाइडेल पावर प्लांट का धंधा ही बचा है। इस तरह टेक्समैको से निकली टैक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग ही एक तरह से असल कंपनी है जो मुख्यतः भारतीय रेल केऔरऔर भी

आगे से देश भर में कहीं भी सरकारी जमीन अगर गलत तरीके से बेची या लीज पर दी गई है तो उसके लिए सीधे आप केंद्रीय मंत्रिमंडल को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं क्योंकि उसकी मंजूरी के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। कैबिनेट सचिवालय ने सभी प्रमुख मंत्रालयों और विभागों को निर्देश भेजा है कि सरकार या सरकारी संस्थाओं की जमीन बेचने या लीज पर देने पर पहले वित्त मंत्रालय के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी जरूरीऔरऔर भी

भारतीय रेल 157 साल पुरानी है। देश के कुल 1083 स्टेशनों को जोड़ती है। हर दिन 2.20 करोड़ लोग इससे सफर करते हैं और 25 लाख टन माल ढोया जाता है। 2004-05 में हर दिन चलनेवाली ट्रेनों की संख्या 16,021 और पूरे साल में यात्रियों की संख्या 538 करोड़ थी। 2009-10 में कुल यात्रियों की संख्या 720 करोड़ और प्रतिदिन चलनेवाली ट्रेनों की संख्या 18,820 हो गई। यानी, औसत की बात करें कि देश की पूरी आबादीऔरऔर भी

शुक्रवार को पेश होनेवाले रेल बजट में आम यात्री किराए में किसी बढ़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। लगातार पिछले सात सालों से ऐसा ही होता आ रहा है। लेकिन उच्च श्रेणी के किराए में मामूली वृद्धि हो सकती है, जबकि अनाज व पेट्रोलियम तेल को छोड़कर ज्यादातर जिसों के मालभाड़े में 8 फीसदी वृद्धि की जा सकती है। उम्मीद है कि 100 नई ट्रेनों की घोषणा रेल मंत्री ममता बनर्जी करेंगी। इसमें से करीब एक दर्जनऔरऔर भी

भारतीय रेल की आमदनी का मुख्य हिस्सा मालभाड़े से आता है और अमूमन उसकी वृद्धि दर यात्री किराए से ज्यादा रहती है। लेकिन चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में यात्री किराए से रेलवे की आमदनी जहां 9.41 फीसदी बढ़ी है, वहीं मालभाड़े से हुई आमदनी 5.83 फीसदी ही बढ़ी है। रेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2010-11 में अप्रैल से नवंबर तक के आठ महीनों में भारतीय रेल की कुल आमदनी में 7.18औरऔर भी