उद्यमी रिस्क ही रिस्क लेता है। स्टार्ट-अप वाले भी जुगाड़ टाइप रिस्क ही लेते हैं। आईआईएम या आईएमएम वाले सुरक्षित रिस्क लेते हैं। समझने की बात है कि ट्रेडर न तो उद्यमी है, न ही स्टार्ट-अप या फाइनेंस का मास्टर। उसका ट्रेड ऐसा है जिसमें बाज़ी बड़े बारीक अंतर से इधर से उधर चली जाती है। इसलिए उसे हिसाब लगाना पड़ता है कि इतना हारे, उतना जीते तो फायदे के लिए सौदे में रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात कितना होनाऔरऔर भी

जीवन है तो जरूरतें हैं और जब तक जरूरतें हैं, तब तक उन्हें पूरा करने की इच्छा है। पढ़-लिख खूब बड़ा बनने की इच्छा। खूबसूरत दिखने की इच्छा। किसी दिन आसमान छूने की इच्छा। विदेश जाने की इच्छा। अपने घर के बाद हरे-भरे फार्महाउस में रहने की इच्छा। छोटी-छोटी इच्छाएं हैं तो बड़ी-बड़ी इच्छाएं हैं। खुश रहने की ख्वाहिश, धनवान बनने की इच्छा, राज करने की चाहत, ज्ञानवान बनने की तमन्ना। इन इच्छाओं को जो भी पूराऔरऔर भी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) के शिक्षकों को विश्वस्तरीय नहीं बताने की पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की टिप्पणियों को आईआईएम के प्रोफेसरों ने आज ‘एकतरफा’ करार दिया। प्रोफेसरों ने कहा है कि ये टिप्पणियां अतिशय अज्ञानता का नतीजा हैं। रमेश ने कल कहा था कि आईआईटी और आईआईएम के शिक्षक विश्वस्तरीय नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि ये संस्थान विद्यार्थियों की गुणवत्ता के कारण ‘उत्कृष्ट’ हैं। आईआईएम, अहमदाबाद के प्रोफेसर अनिल गुप्ता नेऔरऔर भी

ओम्निटेक इनफोसोल्यूशंस का 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 532882) में 8.47 फीसदी उछल कर 152.40 रुपए और एनएसई में 7.92 फीसदी उछल कर 151.30 रुपए पर बंद हुआ है। इसके बावजूद सस्ता है क्योंकि उसका टीटीएम (ठीक पिछले बारह महीनों का) ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 39.32 रुपए है और इस तरह वो केवल 3.88 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। असल में इधर एफआईआई अपना ध्यान बड़ी आईटी कंपनियों सेऔरऔर भी

समाज के गरीब तबकों के बच्चों को आईआईटी जेईई की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करानेवाले सुपर-30 के संस्थापक गणितज्ञ आनंद कुमार को दोहा में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए एक्सीलेंस इन एजुकेशन पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। कुमार को यह पुरस्कार ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर बिहार एंड झारखंड’ और ‘बिहार फाउंडेशन’ की दोहा शाखा की ओर से प्रदान किया जाएगा। बिहार सरकार के सहयोग से 2008 में स्थापित बिहार फाउंडेशन की विश्व भर में सात शाखाएंऔरऔर भी

हमारे राजनेताओं को मजबूरन अपनी जुबान खोलते वक्त जन-भावनाओं का ख्याल रखना पड़ता है। लेकिन अच्छे से अच्छे नौकरशाह भी अक्सर जन-भावनाओं के प्रति इतने असंवेदनशील हो जाते हैं कि ऐसी बातें बोल जाते हैं कि अपनी परंपरा का यह नीति-वाक्य तक याद नहीं रहता – सत्यम् ब्रूयात प्रियं ब्रूयात, न ब्रूयात सत्यम् अप्रियं। आपको याद होगा कि कुछ साल पहले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा था कि दुनिया में जिंसों के दामऔरऔर भी