एमको इंडिया केवल बीएसई (कोड – 530133) में लिस्टेड है। दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल 2.99 फीसदी गिरकर 43.85 रुपए पर बंद हुआ है। पिछले 52 हफ्तों में इसका उच्चतम स्तर 47.75 रुपए (5 मई 2010) और न्यूनतम स्तर 21.10 रुपए (4 नवंबर 2009) रहा है। उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 4.87 रुपए है और उसका शेयर 8.98 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। लेकिन इसकी बुकऔरऔर भी

मैंने साफ-साफ कहा था कि निफ्टी 6000 से लेकर 6100 के बीच डोलेगा और यही हो रहा है। आज एक करोड़ से ज्यादा निफ्टी बढ़ाकर अगले सेटलमेंट में ले जाए गए। यह निश्चित रूप से डेरिवेटिव सौदों में हाल का सबसे बड़ा वोल्यूम होगा। कल बाजार 6100 या उसके आसपास बंद होगा। आज यह 5991 अंक पर बंद हुआ है। यानी कल इसमें 100 अंक या इससे ज्यादा की वृद्धि होगी। इसकी सीधी वजह यह है किऔरऔर भी

बाजार में रोलओवर का आगाज़ हो चुका है। लेकिन एक बात गौर करने की है कि निफ्टी में पुट ऑप्शन के सौदे 5600, 5500 व 5400 के स्तर पर हुए हैं यानी, यहां तक निफ्टी गया तो चाहें तो उसे बेच सकते हैं, पर बेचने की कोई बाध्यता नहीं है। इसलिए बहुत कम गुंजाइश है कि बाजार 5900 अंक से नीचे जाएगा। इसके साथ ही निफ्टी के कॉल ऑप्शन में 6000, 6100 व 6200 पर कोई खासऔरऔर भी

बाजार पर नाहक ही तेजी का सुरूर चढ़ा हुआ है। मेरा सुझाव है कि ट्रेडरों को इस सेटलमेंट में तब तक बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है जब बाजार में करेक्शन नहीं आ जाता। फिलहाल करेक्शन इसलिए नहीं आ रहा क्योंकि ट्रेडर अब भी हर बढ़त पर शॉर्ट हुए जा रहे हैं। इस दौरान अगर शॉर्ट सेल भी होती है तब भी आपको अफरातफरी मचाने की जरूरत नहीं है। बाजार खुद को करेक्शन के बिना सेंसेक्स केऔरऔर भी

जापानी कंपनी होंडा ने हीरो होंडा में अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी सिंगापुर में मुंजाल परिवार की तरफ से बनाए गए विशेष एसपीवी (स्पेशल परपज वेहिकल) को बेच दी है। यह सौदा 120 करोड़ अमेरिकी डॉलर (5565 करोड़ रुपए) में हुआ है। इसकी आधिकारिक घोषणा 25 सितंबर को की जाएगी। बता दें कि हीरो होंडा से होंडा के निकलने की खबर सबसे पहले हमने आपको दी थी और सबसे पहले सौदे का ब्यौरा भी आपको हम ही देऔरऔर भी

मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मंदड़ियों ने पीछे भारी धक्का खाने के बावजूद अभी तक कोई सबक नहीं सीखा है। शॉर्ट सौदे करना उनका शौक बन गया है। टाटा स्टील में पैंट उतर जाने के बाद अब वे एसबीआई पर हाथ आजमा रहे हैं और उन्हें लगता है कि यह शॉर्ट सेल के लिए सबसे अच्छा काउंटर है। उनका साफ-साफ तर्क यह है कि एसबीआई का स्टॉक 2950 रुपए के भाव परऔरऔर भी

किसी शेयर के बढ़ने या गिरने से निवेशक पर क्या फर्क पड़ता है? क्या टेक्निकल एनालिस्टों के चार्ट चलते हैं या फंडामेंटल ही शेयर का दमखम तय करते हैं? मेरी राय में आखिरकार फंडामेंटल ही काम करते हैं और हकीकत यही है कि बाजार से चार्ट बनते हैं, न कि चार्ज बाजार को बनाते हैं। हमने हीरो होंडा में बिक्री की पहली कॉल 1926 रुपए पर दी और यह स्टॉक अब गिरते-गिरते 1700 रुपए पर आ गयाऔरऔर भी

हम साबित करने बैठे हैं कि बाजार के लिए हिन्डेनबर्ग या कोई दूसरा अपशगुन कभी कोई मायने नहीं रखता। न ही चार्टों के आधार पर की गई टेक्निकल एनालिसिस, खरीद-बिक्री की सलाह, ज्योतिष के नुस्खे और वैल्यूएशन के बारे में मंदी के आख्यान कोई काम आते हैं। आप खुद ही देखिए कि होंडा के अलग होने की खबर आ जाने के बाद भी सफेदपोश एनालिस्ट हीरो होंडा को मूल्यवान स्टॉक बताकर खरीदने की सलाह दिए जा रहेऔरऔर भी

तलहटी पर खरीदने का अपना सुख होता है। हां, इस सुख में थोड़ा दुख तब हो जाता है जब शेयर अगले दिन या उसके अगले-अगले दिन नई तलहटी पकड़ लेता है। ऐसे में रणनीति थोड़ी-थोड़ी खरीद की होनी चाहिए। जितना गिरता जाए शेयर, हम खरीदते जाएं और इस तरह अपनी औसत लागत कम करते जाएं। आप बीएसई या एनएसई में शाम तो देख लीजिए कि कौन-सा शेयर न्यूनतम स्तर पर पहुंचा है। उसके बाद देखिए कि कंपनीऔरऔर भी

बाजार में करेक्शन या गिरावट को लेकर और भी डराने वाली रिपोर्टें जारी की जा रही हैं। ऐसे में पहले से डरे हुए ट्रेडर और निवेशक डिलीवरी आधारित सौदों से बचने लगे हैं और बाजार में शॉर्ट करने के मौके तलाश रहे हैं। लेकिन यह सब रोलओवर की तकलीफ है जिसे हमें झेलना ही पड़ेगा। इसी माहौल में मंदडियों के हमलों के तमाम सिद्धांत फैलाए जा रहे हैं। लेकिन नया सेटलमेंट शुरू होते ही ये सारे सिद्धांतऔरऔर भी