हम ज़मीन को छोड़े बगैर आसमान में उड़ना चाहते हैं! कार चलाना आ गया तो मान बैठते हैं कि हवाई जहाज़ भी उड़ा लेंगे। सोने व रीयल एस्टेट को जान लिया तो सोचते हैं कि शेयर बाज़ार और फॉरेक्स बाज़ार पर भी सिक्का जमा लेगे। यह संभव नहीं है क्योंकि भौतिक अर्थव्यवस्था और फाइनेंस की अर्थव्यवस्था में सचमुच ज़मीन आसमान का अंतर है। डिमांड, सप्लाई और दाम का रिश्ता यहां भी है और वहां भी। लेकिन समीकरणऔरऔर भी

बाज़ार सरकार तक की नहीं सुनता। वित्त मंत्री चिदंबरम से लेकर रिजर्व बैंक तक रुपए को चढ़ाना चाहते हैं। लेकिन इन सबको धता बताते हुए रुपया डॉलर के मुकाबले 68.83 तक जा गिरा। एक दिन में 3.83% की गिरावट। यह एक मार्च 1993 के बाद किसी एक दिन में हुई सबसे बड़ी गिरावट है। शेयर बाज़ार सपाट। सोना चढ़ा 34,238 रुपए प्रति दस ग्राम तक। सबक? बाज़ार से पंगा मत लो। बस देखते रहो बाज़ार की धार…औरऔर भी

सोने के भाव गिरते जा रहे हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हो गया तो सोने के भाव हम भारतीयों के लिए और कम हो जाते हैं। लेकिन सदियों पहले धतूरे से तुलना करने के बावजूद सोने को लेकर हमारा नशा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। प्रसिद्ध मनोविश्लेषक सिगमंड फ्रॉयड ने अपनी किताब ‘ड्रीम्स इन फोकलोर’ में लिखा है कि बेबीलोनिया (अभी का इराक) के प्राचीन मिथकों में सोने को नरक का मल कहाऔरऔर भी

सोना गिर रहा है। तीस दिनों में 13%, छह महीने में 19% और एक साल में 15% गिरा है। लेकिन पांच साल पहले से अब भी 75% ऊपर है। 2008 में सोना 800 डॉलर प्रति औंस था। अभी 1400 डॉलर के आसपास है। 2011 में हासिल 1800 डॉलर के शिखर से 22% नीचे। सोना क्यों चढ़ा और क्यों गिरा? इस पर मगजमारी करने के बजाय क्यों न सोने के कारोबार में लगी कंपनी पर दांव लगा दियाऔरऔर भी

मित्रों! न तो आपके इंतज़ार की घड़ियां खत्म हुई हैं और न ही मेरी। पढ़ाने से पहले पढ़ने में लगा हूं। एक बात तो साफ है कि निवेश के माध्यमों का जोखिम तो मै मिटा नहीं सकता। वो भविष्य में छलांग लगाने का मसला है, अनिश्चितता से जूझने का मामला है। वहां तो जोखिम हर हाल में रहेगा, कोई ‘भगवान’ तक उसे मेट नहीं सकता। लेकिन अपने स्तर पर मैं पढ़-लिखकर पक्का कर लेना चाहता हूं किऔरऔर भी

आम भारतीय, खासकर किसान सोने को कभी अपने से जुदा नहीं करता। वह उसे लक्ष्मी का रूप मानता है। लेकिन अब फसल खराब होने और आय का दूसरा साधन न होने के कारण किसान कर्जौं को उतारने और खाद व बीज का दाम चुकाने के लिए सोना बेच रहे हैं। इस साल देश के कई भागों पर पड़े सूखे या कम बारिश से उनका ये हाल हुआ है। बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन का अनुमान है कि किसानों केऔरऔर भी

दुनिया के बाजार में सोने के भाव पिछले छह महीनों में भले ही 3.58 फीसदी गिर चुके हों, लेकिन भारत में इसका दाम इसी दौरान 4.59 फीसदी बढ़ गया है। इसका सीधा वास्ता डॉलर और रुपए की विनिमय दर से है। रुपया गिरता है तो बाकी सब कुछ वैसा ही रहने पर सोना बढ़ जाता है। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव थोड़ा दबकर 1662.30 डॉलर प्रति औंस (31.1034768 ग्राम) चल रहा था, जबकि भारतऔरऔर भी