भगवान पर ध्यान लगा हम अपने अंदर की शक्तियों और बाहर की ताकतों को साधते हैं। भगवान यहीं तक सीमित रहे तो बड़ा कल्याणकारी है। लेकिन, कोई जब दूसरों को खींचने के लिए भगवान का इस्तेमाल करने लगता है तो वह बड़ा विनाशकारी हो जाता है।और भीऔर भी

अलौकिक नहीं, लौकिक शक्तियां ही हमें बुरे वक्त से उबारती है। कुछ को हम देख लेते हैं, ज्यादातर को नहीं। यहां तक कि साथ देनेवाले तक को भी अलौकिक शक्तियों का दूत मानते हैं। धंधेबाज़ इसका फायदा उठाकर अपना वक्त चमका लेते हैं।और भीऔर भी

जीवन और मृत्यु की शक्तियां बराबर हमें अपनी ओर खींचती रहती हैं। उम्र के एक पड़ाव के बाद मृत्यु हावी हो जाती है। तभी परख होती है हमारी जिजीविषा की कि मृत्यु के जबड़े से हम कितनी ज़िंदगी खींचकर बाहर निकाल लेते हैं।और भीऔर भी

रेत में सिर डालकर शुतुरमुर्ग की तरह जीने व शिकार हो जाने का क्या फायदा! इस दुनिया में अनगिनत शक्तियां सक्रिय हैं। यहां ‘एक मैं और दूजा कोई नहीं’ की सोच नहीं चलती। यह सरासर गलत है।और भीऔर भी