नज़र का फेर
2012-04-15
चीजें अपने-आप में बड़ी सरल होती हैं। नियमबद्ध तरीके से चलती हैं। बड़ी क्रमबद्धता होती है उनमें। लेकिन हमारी सोच और अहंकार के चलते वे उलझी हुई नज़र आती हैं। सही नज़रिया मिलते ही सारा उलझाव मिट जाता है।और भीऔर भी
ठोकर अक्सर!
2012-02-23
प्रकृति की संरचनाएं जैसी जटिल हैं, वैसी ही जटिलता हमारे भाव-संसार, विचारों की दुनिया और सामाजिक रिश्तों में भी है। जो इसे नहीं देख पाते या नज़रअंदाज़ करते हैं, वे अक्सर ठोकर खाते रहते हैं।और भीऔर भी