धन से टेक्नोलॉजी खरीदी जा सकती है, ज्ञान भी खरीदा जा सकता है। लेकिन अच्छे लोग नहीं। अच्छे लोग किसी भी संगठन के लिए धरोधर होते हैं, जबकि बुरे लोग बोझ। अगर कहीं अच्छे लोगों की कद्र नहीं है तो समझ लीजिए कि वह संगठन लंबा नहीं चलेगा।और भीऔर भी

शिवालिक बाईमेटल, राठी बार्स, त्रिवेणी ग्लास, क्विंटेग्रा सोल्यूशंस, सूर्यचक्र पावर, एचसीसी और रोमान टारमैट ऐसे कुछ स्टॉक्स हैं जिनकी चर्चा इस कॉलम में साल भर के दौरान बार-बार हुई है। किसी न किसी आधार पर इनमें अच्छी बढ़त का अनुमान पेश किया गया था। लेकिन बताए जाने के बाद से इनमें से कई शेयरों के भाव 40-50 फीसदी तक गिर चुके हैं। आप में से कई लोगों ने इस बाबत अपनी शंकाएं और सवाल भी पेश किएऔरऔर भी

शेयर बाजार में मची घबराहट व अफरातफरी के इस आलम हर कोई तम्बू समेटने और हिसाब-किताब दुरुस्त करने में लगा है। ब्रोकरेज हाउस अपने ग्राहकों से जबरदस्ती पूरी रकम निकालने लगे हैं। बल्कि, मुझे तो कुछ लोगों ने बताया कि हैदराबाद की किसी कंपनी के प्रवर्तक को एक प्रमुख ब्रोकिंग हाउस ने एयरपोर्ट से ही उठा लिया क्योंकि उसने उस ब्रोकरेज हाउस से अपना हिसाब-किताब नहीं निपटाया था। चेन्नई के एक प्रमुख अखबार ने खबर दी हैऔरऔर भी

बिलकेयर लिमिटेड (बीएसई कोड-526853) दवा उद्योग के लिए पैकेजिंग सामग्री वगैरह बनाती है। उसने इसी 2 अगस्त को घोषित किया कि उसकी जर्मन सब्सिडियरी ने अमेरिका, जर्मनी, इटली व भारत में सक्रिय कंपनी इनिओस के ग्लोबल फिल्म बिजनेस का अधिग्रहण कर लिया है। इनिओस के इस डिवीजन का कारोबार 24 करोड़ यूरो (1458 करोड़ रुपए) का है, जबकि बिलकेयर ने इसे 10 करोड़ यूरो (607 करोड़ रुपए) में हासिल किया है। बिलकेयर से अभी देश-विदेश की कुलऔरऔर भी

जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर का एक रुपए का शेयर अभी बीएसई में 55.35 रुपए और एनएसई में 55.40 रुपए चल रहा है। वित्त वर्ष 2009-10 के नतीजों के मुताबिक उसकी प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) महज 4 पैसे है। इस आधार पर उसका पी/ई अनुपात 691.88 निकलता है। फिर भी इसमें तूफान के आसार हैं। एनएसई में कल इसके 30.52 लाख शेयरों में सौदे हुए हैं, जबकि बीएसई में औसत से थोड़ा-सा ज्यादा 4.44 लाख शेयरों में। जानकार बताते हैंऔरऔर भी

शेयर बाजार में जबरदस्त चर्चा है कि आईएफसीआई को दो दिन के भीतर रिजर्व बैंक से बैंक बनाने का लाइसेंस मिलनेवाला है और अगले हफ्ते बाकायदा इसकी घोषणा हो जाएगी। इस चक्कर में सटोरिये बड़े पैमाने पर आईएफसीआई की खरीद में जुट गए हैं। मामला कितना सच है कितनी अफवाह, इस बारे में रिजर्व बैंक की तरफ से कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन इन अटकलों के बीच हो यह रहा है कि आईएफसीआईऔरऔर भी