अमेरिका ने भारतीय आईटी प्रोफेशनलों में लोकप्रिय रोजगार वीज़ा एच-1बी का शुल्क पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष से बढ़ाने का निर्णय किया है। भारतीय कंपनियों पर इसका नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। इस वीजा के लिए आवेदन 2 अप्रैल से किए जाएंगे। अमेरिकी सिटीजनशिप एंड एमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) ने एक बयान में कहा कि अमेरिका में 50 या इससे अधिक कर्मचारियों को काम पर रखनेवाली ऐसी कंपनियों के लिए एच1 वीजा आवेदनऔरऔर भी

विमान निर्माता कंपनी, बोईंग को अमेरिका की संघीय और राज्य सरकारों से अरबों डॉलर की अवैध सब्सिडी मिलती है और इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने अपने दो साल पुराने इस फैसले को बहुत हद तक सही ठहराया है। डब्ल्यूटीओ ने यूरोपीय संघ की तरफ से साल 2005 में दाखिल शिकायत पर यह फैसला सुनाया है। हालांकि सब्सिडी की रकम को उसने यूरोपीय संघ के दावे से काफी कम माना है। डब्ल्यूटीओ नेऔरऔर भी

शुक्रवार को विदेशी निवेश बैंक मैक्वारी ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में आगाह किया था कि भारत को कच्चे तेल का झटका लग सकता है क्योंकि रुपए में इसकी कीमत अब तक की चोटी पर पहुंच चुकी हैं। तेल की ऊंची कीमतें मुद्रास्फीति को धक्का दे सकती हैं और ब्याज दरों को घटाए जाने की संभावना खत्म हो सकती है। मैक्वारी के बाद अब देश की दो प्रमुख रेटिंग एजेंसियों क्रिसिल और केयर रेटिंग्स ने कच्चे तेल केऔरऔर भी

अमेरिका में भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) की तर्ज पर जीएओ नाम की संस्था काम करती है। इसे पहले जनरल एकाउंटिंग ऑफिस कहा जाता था। लेकिन साल 2002 से अमेरिकी संसद ने इसका काम व नाम बदलकर गवर्नमेंट एकाउंटेबिलिटी ऑफिस कर दिया। अमेरिका के मौजूदा महानियंत्रक जीन डोदारो हैं। वहां जीएओ प्रमुख का कार्यकाल 15 साल का है। डोदारो की नियुक्ति इस पद पर डेढ़ साल पहले हुई थी और उनका बाकी कार्यकाल करीब 13.5औरऔर भी

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का खास अंदाज था कि वे देश की हर समस्या के पीछे विदेशी हाथ बता देती थीं। अब हमारे ताजा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी लगता है कि वही शॉर्टकट अपना लिया है। उन्होंने साइंस पत्रिका में शुक्रवार को छपे एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत में परमाणु संयंत्रों को लगाने के विरोध के पीछे अमेरिका के अ-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का हाथ है। आपको याद ही होगा कि महाराष्ट्र के जैतापुर केऔरऔर भी

केन्नामेटल इंडिया मूलतः विदेशी कंपनी है। औद्योगिक उत्पादन में इस्तेमाल होनेवाले एडवांस किस्म के टूल्स, टूल सिस्टम और इंजीनियरिंग कंपोनेंट बनाती है। मूल अमेरिकी कंपनी केन्नामेटल का गठन 1934 में हुआ था। साल 2002 में उसने मशीन टूल्स के धंधे में लगे बहुराष्ट्रीय समूह विडिया को खरीद लिया तो उसकी भारतीय इकाई उसकी हो गई और उसने केन्नामेटल इंडिया का नाम अपना लिया। इसके जरिए अमेरिकी कंपनी का इरादा भारत व चीन के उभरते बाजारों को पकड़नेऔरऔर भी

भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में विकसित देशों का पिछलग्गू बनने के बजाय कम से कम इतना जरूर दिखा दिया है कि उसकी रीढ़ की हड्डी अभी सही-सलामत है। अमेरिकी दौरे पर आए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शिकागो शहर में दिए गए एक बयान में कहा है कि ईरान के खिलाफ अमेरिका व यूरोपीय संघ की तरफ से बंदिशें लगाए जाने के बावजूद भारत ईरान से पेट्रोलियम तेलों के आयात में कमी नहीं करेगा। भारत अपनीऔरऔर भी

।।राकेश मिश्र।।* उदारवादी व्यवस्था में भारतीय राजस्व और अर्थशास्त्र के आज़ादी के पचास सालों में तैयार किए गए गहन मूलभूत सिद्धांतों और व्यवस्था के आधारभूत तत्वों को तथाकथित नए उदारवादी मानकों के अनुसार तय किया जाने लगा। यह दौर शुरू हुआ आर्थिक उदारीकरण के दूसरे चरण में 1998 के दौरान। इस दौर के अर्थशास्त्रियों की समाजशास्त्रीय समझ के अति उदारीकरण का परिणाम यह निकला कि देश में महंगाई की अवधारणा और मूल्य सूचकांक के मानक आधुनिक अर्थशास्त्रऔरऔर भी

अमेरिका ने अपने रक्षा बजट में अगले दस सालों के दौरान 488 अरब डॉलर की कटौती की घोषणा की है। साथ ही अगले पांच साल में थल सेना में करीब 70,000 और मरीन कोर में 22,000 सैनिक घटाए जाएंगे। इसके अलावा युद्धपोतों को भी रिटायर किया जाएगा। 9 सितंबर 2001 के हमले के बाद अमेरिका के रुख में आया यह ऐतिहासिक बदलाव है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने वॉशिंगटन में गुरुवार को रक्षा बजट में कटौतीऔरऔर भी

विश्व अर्थव्यवस्था इस समय ‘खतरनाक दौर’ में जा पहुंची है। यूरोप मंदी की चपेट में आ चुका है। यह किसी ऐरे-गैरे का नहीं, बल्कि विश्व बैंक का कहना है। साथ ही उसका यह भी कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2011-12 में 6.8 फीसदी रहेगी, जबकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का नया अनुमान 7 से 7.5 फीसदी का है। पिछले वित्त वर्ष 2010-11 में भारत का जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 8.5 फीसदीऔरऔर भी