शरीर की पात्रता
शरीर है, तभी सब है। घर-परिवार। सुख-समृद्धि। ज्ञान-ध्यान। सबकी शुरुआत इसी से होती है और इसी के साथ इससे जुड़े हर भाव का अंत हो जाता है। बर्तन ही नहीं तो अमृत रखेंगे कहां? इसलिए सबसे पहले शरीर की शुद्धता व पात्रता जरूरी है।और भीऔर भी
बूंद हैं, कड़ियां हैं
न तुम अंतिम हो, न वह और न ही मैं। हम सब बूंद हैं, कड़ियां हैं अनंत सागर की। यहां कुछ भी सपाट नहीं, सब गोल है। चलते-चलते आखिरकार हम वहीं पहुंच जाते हैं, जहां से यात्रा की शुरुआत की थी।और भीऔर भी
दस आदिवासियों को पहचान का आधार
महाराष्ट्र में नंदुरबार जिले के आदिवासी गांव थेंभली के 10 बाशिंदों को विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) देने के साथ ही देश के हर नागिरक को अलग पहचान देने की परियोजना आधार की शुरुआत हो गई। इन आदिवासियों ने अपने आधार कार्ड खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों से हासिल किए। आधार में देश के हर नागरिक को 12 अंकों की संख्या दी जाएगी जो उसकी उंगलियों के निशान से लेकर आंखों कीऔरऔर भी

