दलाल या दलित
2012-01-10
तंत्र औपनिवेशिक किस्म का हो तो सत्ता से बाहर के सारे लोग या तो दलाल होते हैं या दलित। दलित कोई जाति नहीं। सवर्ण, अवर्ण कुछ नहीं। विकास के अवसरों से जो भी वंचित हैं, वे सभी दलित हैं।और भीऔर भी
तंत्र औपनिवेशिक किस्म का हो तो सत्ता से बाहर के सारे लोग या तो दलाल होते हैं या दलित। दलित कोई जाति नहीं। सवर्ण, अवर्ण कुछ नहीं। विकास के अवसरों से जो भी वंचित हैं, वे सभी दलित हैं।और भीऔर भी
आशा बड़ी बलवान है। इससे भरे हुए लोग बडी़ से बड़ी विघ्न-बाधा से जूझ सकते हैं। लेकिन जो इससे वंचित हैं, वे बेजान ठूठ की तरह एक जगह पड़े रहते हैं और सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं कर पाते।और भीऔर भी
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