उम्र और जिंदगी
2010-09-30
उम्र बढ़ती है, मृत्यु करीब आती है। लेकिन ज़िंदगी नहीं घटती क्योंकि समझदारी से जिया गया एक साल मूर्खता में जिए गए बीसियों साल के बराबर होता है जैसे रुई का बड़ा ढेर भी कुछ किलो लोहे से नप जाता है।और भीऔर भी
उम्र बढ़ती है, मृत्यु करीब आती है। लेकिन ज़िंदगी नहीं घटती क्योंकि समझदारी से जिया गया एक साल मूर्खता में जिए गए बीसियों साल के बराबर होता है जैसे रुई का बड़ा ढेर भी कुछ किलो लोहे से नप जाता है।और भीऔर भी
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