आप कितने धन से शुरू कर रहे हैं, सफलता इससे नहीं, बल्कि इससे तय होती है कि आपके पास जो कुछ भी है, उसे आप कैसे संभालते और लगाते हैं। जो भी बौद्धिक-भौतिक संपदा आपकी है, उसके सही नियोजन व धैर्य से धनवान बना सकता है।और भीऔर भी

मूल्य वो है जो कंपनी के कर्मों से बनता है और भाव वो है जो लोग उसे देते हैं। खरीदने-बेचने वाली शक्तियों के असल संतुलन से ही निकलता है भाव। हो सकता है कि कंपनी बहुत अच्छा काम कर रही हो। उसका धंधा बढ़ रहा हो। लाभप्रदता भी बढ़ रही हो। फिर भी बाजार के लोगों में उसके शेयरों को खरीदने की दिलचस्पी न हो तो उसका भाव दबा ही रहेगा। आप कहेंगे कि अच्छी चीज़ कोऔरऔर भी

क्या हम-आप जैसे सामान्य निवेशक सही स्टॉक्स के चयन में लंबी-चौड़ी टीम के साथ काम कर रहे किसी म्यूचुअल फंड के कम से कम एमबीए पढ़े फंड मैनेजर की बराबरी कर सकते हैं? शायद नहीं। लेकिन म्यूचुअल फंड में होने के नाते उसकी जो मजबूरियां हैं, हम उनसे मुक्त भी हैं। स्कीम का एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य) बराबर बनाकर रखना। निवेश निकालने वाले कॉरपोरेट निकायों व बड़े निवेशकों की मांग पूरी करना। सबसे बड़ी मुश्किल म्यूचुअल फंडऔरऔर भी

धन आपके पास तभी तक नहीं है, जब तक या तो आप दूसरों के काम के नहीं बन पाए हैं या दूसरों को आपकी उपयोगिता का पता नहीं है। पहले उपयोगिता, फिर उसकी मार्केटिंग। यही सूत्र है धन बनाने का।और भीऔर भी

किसी जमाने में सेठ लोग धर्मशालाएं और कुएं खुदवाकर खैरात का काम करते थे। लेकिन आज कोई कंपनी किसी कल्याण के लिए नहीं, बल्कि शुद्ध रूप से मुनाफा कमाने के लिए बनती है। उसके काम से अगर किसी का भला होता है तो यह उसका बाय-प्रोडक्ट है, असली माल व मकसद नहीं। वो तो ऐन केन प्रकरेण ग्राहक या उपभोक्ता की जेब से नोट लगाने के चक्कर में ही लगी रहती है। बड़े-बड़े एमबीए और विद्वान उसेऔरऔर भी

सुब्बु सब जानता है। बचत खाते की 6 फीसदी ब्याज दर पर कोटक महिंद्रा बैंक का यह विज्ञापन आपने देखा ही होगा। शेयर बाजार के बारे में भी यही कहा जाता है कि वह सब जानता है। आप उसे चौंका नहीं सकते क्योंकि उसे पहले से सब पता रहता है। लेकिन यह आंशिक सच है, पूरा नहीं। ज़िंदगी की तरह बाजार में भी चौंकने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। बाजार हमेशा वर्तमान को पचाकर और भविष्यऔरऔर भी

शेयर बाजार से नोट कमाना तालाब से मछली पकड़ने जैसा काम नहीं है कि बंशी डालकर बैठ गए और फिर किसी मछली के फंसने का इंतज़ार करने लगे। शेयर बाजार में किस्मत का खेला भी कतई नहीं चलता। यहां से तो कमाने के लिए पौधे लगाकर फल-फूल पाने का धैर्य चाहिए। घात लगाकर सही मौके को पकड़ने की शेरनी जैसी फुर्ती चाहिए। और, सही मौके की शिनाख्त के जरूरी है सही जानकारी। फिर सही जानकारी से सारऔरऔर भी

जहां भी देखो, हर तरफ, हर कोई नोट बनाने में लगा है। इसलिए कि धन है तो सब कुछ है। पद, प्रतिष्ठा, शानोशौकत। सुरक्षा, मन की शांति। जो चाहो, कर सकते हो। छुट्टियां मनाने कभी केरल पहुंच गए तो कभी स्विटजरलैंड। बच्चों को मन चाहा तो ऑक्सफोर्ड से पढ़ाया, नहीं तो हार्वर्ड से। धन की महिमा आज से नहीं, सदियों से है। करीब 2070 साल पहले 57-58 ईसा-पूर्व में हमारे भर्तहरि नीतिशतक तक में कहा गया था,औरऔर भी

हमारे शेयर बाजार पर लगता है कि धमाकों का कोई असर ही नहीं होता। दिल्ली हाईकोर्ट के सामने सुबह करीब 10.15 बजे बम फटा। लेकिन निफ्टी 11 बजे के बाद निर्णायक रूप से 5100 के पार चला गया। बाजार में भारी मात्रा में शॉर्ट सौदे हुए पड़े हैं। गिरावट की आशंका और आनेवाली कुछ नकारात्मक घटनाएं शॉर्ट सेलिंग करनेवालों को अपनी पोजिशन काटने से रोक रही हैं। हालांकि रिटेल निवेशक इससे बेअसर हैं क्योंकि डेरिवेटिव सेगमेंट मेंऔरऔर भी

इस समय बाजार के सारे विशेषज्ञ दुविधा में हैं। सबकी राय बंटी हुई है। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और मूडीज दोनों ही एजेंसियों ने ही फ्रांस की रेटिंग एएए पर बरकरार रखी है जिसका मतलब हुआ कि नए डाउनग्रेड का डर खत्म हो गया है। फिर भी अमेरिका का डाउ जोन्स सूचकांक 513 अंकों की भारी गिरावट का शिकार हो गया क्योंकि ब्याज दरों को दो साल तक कम रखने के फेडरल रिजर्व प्रमुख के बयान को लोगोंऔरऔर भी