चलती रहती हैं साजिशें इस बाजार में

इस समय बाजार के सारे विशेषज्ञ दुविधा में हैं। सबकी राय बंटी हुई है। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और मूडीज दोनों ही एजेंसियों ने ही फ्रांस की रेटिंग एएए पर बरकरार रखी है जिसका मतलब हुआ कि नए डाउनग्रेड का डर खत्म हो गया है। फिर भी अमेरिका का डाउ जोन्स सूचकांक 513 अंकों की भारी गिरावट का शिकार हो गया क्योंकि ब्याज दरों को दो साल तक कम रखने के फेडरल रिजर्व प्रमुख के बयान को लोगों ने इस बात साफ संकेत माना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विकास की गुंजाइश नहीं है। नतीजतन, अब अमेरिका से पूंजी का पलायन फिर से उभरते बाजारों की तरफ होगा।

याद करें। यह बात मैंने इस साल जनवरी में कह दी थी कि, “भले ही वे अभी अपना धन उभरते बाजारों से निकालकर विकसित देशों में लगा रहे हैं, लेकिन वे वापस उभरते बाजारों में ही आएंगे।” आज बाहर उनकी 25 फीसदी पूंजी उड़ चुकी है। अब उनके पास अपने मुल्क के निवेशकों के धन को वापस यहां लगाने के अलावा कोई चारा नहीं है क्योंकि दूसरी किसी भी जगह उनको ऐसा रिटर्न नहीं मिल सकता।

मैं यह क्यों लिख रहा हूं? इसलिए कि मुझे भारत में चल रहे इन विदेशी फंडों के खेल का पता है और वे पक्के तौर पर अगले 18 महीनों में यहां 30 अरब डॉलर लानेवाले हैं। निराशाजनक तस्वीर पेश करने के लिए कुख्यात एक एफआईआई ब्रोकिंग हाउस (जिसने कहा था कि रुपया डॉलर के सापेक्ष 58 रुपए तक चला जाएगा जबकि उसके बाद रुपया कभी गिरा ही नहीं) तक ने साल 2013 के लिए सेंसेक्स में 35,000 का लक्ष्य रखा है। मैं यह अनुमान लंबे अरसे से पेश कर रहा हूं। वही बात अब बड़े लोगों के मुंह से निकलने लगी है।

कृपया याद करें कि जब सभी सोने के भाव को लेकर सभी लोग 800 डॉलर प्रति औंस (31.1034768 ग्राम) पर नकारात्मक धारणा पाले हुए थे, तब आपके इसी चक्री ने इसमें 2000 डॉलर प्रति औंस का लक्ष्य रखा था। इस समय यह 1824 डॉलर पर है। मैंने कम से कम एक साल पहले ही 3333 डॉलर प्रति औंस का लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। अब तो सोना उसी लक्ष्य की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है।

मेरे साथ समस्या यह है कि मैं वो इंसान नहीं हूं जो कल को देखता है। असल में मैं कल को नहीं, अगले साल को देखता हूं। कच्चे तेल पर मेरा अनुमान एकदम सटीक बैठा है, जबकि दुनिया के सारे तेल विशेषज्ञ हाथ मल रहे हैं। मैंने आपसे बार-बार कहा है कि 2014 के लिए सेंसेक्स में मेरा लक्ष्य 41,000 का है।

इस बीच बाजार में साजिशों का दौर जारी है। एक ब्रोकिंग हाउस ने तीन दिन पहले ही भारतीय बाजार को अपग्रेड कर खरीदने की सलाह दी थी। लेकिन अगले ही दिन अपनी राय बदलकर निफ्टी में 4600 का लक्ष्य पेश कर दिया। हालांकि उसने कहा कि ऐसा करने का संदर्भ अलग है। खरीद 4600 पर ही आएगी। चलिए, कोई तो सोच पेश की आपने। कुछ ऐसे तेजड़ियों ने, जो किसी भी साजिश में शामिल नहीं हैं, निफ्टी के 5000 से ऊपर रहने पर भी भारी खरीद की है। अच्छी बात यह है कि एलआईसी अपनी तिजोरी से 50,000 करोड़ निकालकर बाजार का साथ दे रहा है।

कल सौदों को विश्वसनीय दिखाने के लिए निफ्टी में 4600 के पुट में 23 लाख शेयरों वोल्यूम बताया गया। यह असल में मुनाफे के ट्रांसफर का मामला हो सकता है क्योंकि सेबी ने कोड बदलने पर रोक लगा दी है। इससे 3.30 बजे के बाद कोड बदलकर चालबाजी से मुनाफा ट्रांसफर करने के सभी सौदों पर बंदिश लग गई है।

निफ्टी जब कभी भी 5000 के इर्दगिर्द होगा, भारी खरीद का होना तय है। इससे ट्रेडरों को सौदे करने का अच्छा मौका मिलेगा। अगर यूपीए सरकार के गिरने जैसे कोई अनहोनी हो गई, तभी निफ्टी 4800 के नीचे जा सकता है। लेकिन इसके कोई आसार तो कहीं से नहीं नजर आते। बाजार में वापसी तय है।

निफ्टी आज लाल-हरा होता रहा। दोपहर में 5184.95 तक बढ़ने के बाद आखिर में 044 फीसदी की गिरावट के साथ 5138.30 पर बंद हुआ। इस महीने सेटलमेंट के वक्त जमकर शॉर्ट कवरिंग होगी, जो निफ्टी को 5400 या यहां तक कि 5500 तक ले जा सकती है। इसलिए ट्रेडिंग करते इसे ध्यान में रखकर रिस्क लें। यह भी ध्यान रखें कि भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज एनएसई के स्टॉक डेरिवेटिव सौदों में कोई फिजिकल सेटलमेंट नहीं है, जिसका मतलब यह हुआ कि ऑपरेटर इधर या उधर, कभी भी आपके कपड़े उतरवा सकते हैं। इसलिए बिजनेस चैनलों और विशेषज्ञों को तवज्जो देने के बजाय खुद पर भरोसा और फैसला करें।

धन तो धन है। वह यहां का हो या विदेश का, उसके मूल चरित्र पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वह सारे रिश्ते-नाते तोड़कर हमेशा मुनाफे की गली पकड़ता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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