होलिका व प्रह्लाद तो बहाना हैं। मकसद है हर साल नियम से तन, मन, रिश्तों व धरती में जमा कंकास को जलाकर खाक करना, उल्लास मनाना। अभी तो कंकास इतना है कि हर तिमाही होली की जरूरत है।और भीऔर भी

यूं तो नया आने के साथ ही पुराना मिटना शुरू हो जाता है। लेकिन पुराने कंकास को हटाने का काम सायास करना पड़ता है। दीपावली से ठीक पहले की रात मन व जीवन के कंकास या दलिद्दर को हटाने का मौका होती है।और भीऔर भी