बीएसई सेंसेक्स 623 अंक उठा था तो हिचकी का आना लाजिमी था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम की चिंता में बाजार 128 अंक गिरकर खुला। फिर 157 अंक ऊपर चढ़ गया। और, फिर चौरस हो गया। इस बीच बाजार के स्वघोषित वित्त मंत्री (एनालिस्ट) बजट की मीनमेख निकालने में जुटे हैं। खासकर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के बारे में उनका कहना है कि इसे हासिल नहीं किया जा सकता। ऐसी ही गलती सीएलएसए ने 2003औरऔर भी

बाजार डांवाडोल है। कभी इधर तो कभी उधर भाग रहा है। यह 2008 में लेहमान के संकट के बाद की स्थिति का दोहराव है। उस वक्त भी सारे पंटर और बाजार के पुरोधा कह रहे थे कि सेंसेक्स 6000 तक चला जाएगा। अक्सर लोगबाग टीवी स्क्रीम पर आ रही कयासबाजी देखते हैं और मान बैठते हैं कि जैसा कहा जा रहा है, वैसा ही होगा। लेकिन वे एनालिस्टों की चालाकी पर गौर नहीं करते हैं जो कहतेऔरऔर भी

जेएसडब्ल्यू स्टील और इस्पात इंडस्ट्रीज की डील पर खूब बहस हो रही है। महज आठ दिनों में यह डील पूरी कर ली गई है और इन्हीं आठ दिनों में इस्पात का शेयर कुलांचे मार कर बढ़ गया। इसने हमारे बाजार के डेरिवेटिव सिस्टम की कमियां उजागर की हैं। वहां के मूल्यों की सत्यता पर सवाल उठाया है और इनसाइडर ट्रेडिंग की आशंका को बल दिया है। आज भी जिस तरह इस्पात का मूल्य 24.05 रुपए तक जानेऔरऔर भी

बाजार (निफ्टी) जब 6300 अंक पर पहुंच गया हो, तब स्टॉक्स को चुनकर खरीदने के लिए ज्यादा हौसले और भरोसे की दरकार होती है। टेक्निकल एनालिस्टों के चार्ट आपको आसानी से दिखा सकते हैं कि इधर या उधर, नीचे या ऊपर स्टॉप लॉस लगाकर कैसे नोट बनाए जा सकते हैं। ऐसे में फैसला आपको ही करना है कि आप चार्टों के आधार पर ट्रेड करना चाहते हैं कि कंपनी के मूलभूत आर्थिक पहलुओं यानी फंडामेंटल्स के आधारऔरऔर भी

मैं ये दावा तो नहीं करता कि मैं सब कुछ समझता हूं। लेकिन इतना तय है कि मैं खुद को सर्वश्रेष्ठ होनेवाले का दावा करनेवाले तमाम एनालिस्टों से बेहतर समझता हूं। जब एफआईआई की खरीद के चलते बाजार में धन का प्रवाह बढ़ रहा हो, तब खरीद की कॉल देने के लिए किसी अतिरिक्त बुद्धि की जरूरत नहीं होती। इसका मतलब तब हात, जब आपने खरीद की कॉल तब दी होती, जब सेंसेक्स 8000, 15,000 या यहांऔरऔर भी

यह वक्त है देखने-समझने का कि हमने आपसे क्या कहा था और दुनिया भर के विश्लेषक क्या कह रहे थे। उन्होंने हिन्डेनबर्ग अपशगुन के नाम पर मुनादी की थी कि सितंबर में बाजार में जबरदस्त गिरावट आएगी, जबकि हमने डंके की चोट पर कहा था कि बाजार नई ऊंचाई पकड़ेगा। सीएनबीसी से लेकर एनडीटीवी व तमाम दूसरे चैनलों पर एनालिस्ट लोग आपका ब्रेनवॉश करते रहे और कहते रहे कि निफ्टी का 5600 अंक पर जाना असंभव है।औरऔर भी

किसी शेयर के बढ़ने या गिरने से निवेशक पर क्या फर्क पड़ता है? क्या टेक्निकल एनालिस्टों के चार्ट चलते हैं या फंडामेंटल ही शेयर का दमखम तय करते हैं? मेरी राय में आखिरकार फंडामेंटल ही काम करते हैं और हकीकत यही है कि बाजार से चार्ट बनते हैं, न कि चार्ज बाजार को बनाते हैं। हमने हीरो होंडा में बिक्री की पहली कॉल 1926 रुपए पर दी और यह स्टॉक अब गिरते-गिरते 1700 रुपए पर आ गयाऔरऔर भी

हम साबित करने बैठे हैं कि बाजार के लिए हिन्डेनबर्ग या कोई दूसरा अपशगुन कभी कोई मायने नहीं रखता। न ही चार्टों के आधार पर की गई टेक्निकल एनालिसिस, खरीद-बिक्री की सलाह, ज्योतिष के नुस्खे और वैल्यूएशन के बारे में मंदी के आख्यान कोई काम आते हैं। आप खुद ही देखिए कि होंडा के अलग होने की खबर आ जाने के बाद भी सफेदपोश एनालिस्ट हीरो होंडा को मूल्यवान स्टॉक बताकर खरीदने की सलाह दिए जा रहेऔरऔर भी

पहले ज्योतिष के आधार पर अफवाह फैलाई गई कि बाजार 13 अगस्त को धराशाई हो जाएगा। फिर 1937 में हादसे का शिकार हुए एक जर्मन जहाज हिन्डेनबर्ग के नाम पर बने टेक्निकल अपशगुन से डराया गया कि सितंबर में दुनिया के बाजार ध्वस्त हो जाएंगे। अब अपने यहां एक पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन चल रहा है जिसमें कहा गया है कि सेंसेक्स 18,600 से आगे नहीं जा सकता और 14,600 अंक तक गिरता चला जाएगा। इस ‘भविष्यवाणी’ कोऔरऔर भी

एक बार फिर यह बात साबित हो गई कि ज्यादातर ट्रेडर और निवेशक अपना दिमाग ही इस्तेमाल नहीं करते। वे बिजनेस चैनलों पर आनेवाले मुट्ठी भर एनालिस्टों की बातों पर यकीन करके गुमराह हो जाते हैं। असल में ये लोग ट्रेडरों और निवेशकों का एकदम ब्रेन-वॉश कर देते हैं। जब कंप्यूटर पर पंचिंग की एक गलती से रिलायंस को झटका लगा और बाजार (सेंसेक्स) 400 अंक गिर गया तो अधिकांश एनालिस्ट कहने लगे कि अब तो बाजारऔरऔर भी