आम के सीजन में आंधी आने पर हम बाग में दौड़-दौड़ कर जमीन पर गिरे फलों को बोरे में भर लिया करते थे। लेकिन न तो अब वो जमाना रहा और न ही शेयर बाजार किसी गांव के आम के बाग की तरह है जहां आंधी-तूफान में गिरा हर फल मीठा होता है। यहां तो हर हर स्टॉक को आगे-पीछे, ऊपर-नीचे हर तरफ से जांच कर ही उठाया जाना चाहिए। इधर बहुत सारे शेयर खटाखट 52 हफ्तोंऔरऔर भी

ग्रेन्यूल्स इंडिया के बारे में तकनीकी विश्लेषक बताते हैं कि उसमें लंबी व मध्यम अवधि (तीन महीने से लेकर साल भर) का ‘बुलिश’ रुख है और यह बढ़कर 121 रुपए तक जा सकता है। कल यह 1.97 फीसदी बढ़कर 103.30 रुपए पर बंद हुआ है। ग्रेन्यूल्स इंडिया हैदराबाद स्थित दवा कंपनी है। पहले कंपनियों को दवाओं के अवयव (एपीआई) और फॉर्मूलेशन के मध्यवर्ती उत्पाद (पीएफआई) ही बनाकर सप्लाई करती थी। अब पूरी तरह तैयार दवाएं भी बनानेऔरऔर भी

जो भी लोग समझते हैं कि बाजार में करेक्शन इतनी आसानी से आ जाएगा, उनका गलत साबित होना तय है। हां, मैं निफ्टी, बैंकिंग व ऑटो स्टॉक्स को लेकर तेजी की धारणा नहीं रखता, लेकिन मैं रीयल्टी, आइरन ओर और कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों के शेयरों को लेकर जरूर तेजी की सोच रखता हूं। वीआईपी का हाल अभी क्या चल रहा है? इसे मैंने 34 रुपए पर पकड़ा था। आज यह 800 रुपए पर पहुंच चुका है। ट्रेडरऔरऔर भी

बाजार पर नाहक ही तेजी का सुरूर चढ़ा हुआ है। मेरा सुझाव है कि ट्रेडरों को इस सेटलमेंट में तब तक बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है जब बाजार में करेक्शन नहीं आ जाता। फिलहाल करेक्शन इसलिए नहीं आ रहा क्योंकि ट्रेडर अब भी हर बढ़त पर शॉर्ट हुए जा रहे हैं। इस दौरान अगर शॉर्ट सेल भी होती है तब भी आपको अफरातफरी मचाने की जरूरत नहीं है। बाजार खुद को करेक्शन के बिना सेंसेक्स केऔरऔर भी

न तो मेरी राय बदली है और न ही मेरा नजरिया। मैं इस समय रिटेल निवेशकों की दशा-दिशा समझने के लिए देशाटन पर निकला हूं। निफ्टी जब से 5800 के पार गया है, तब से ट्रेडरों और फंडों ने निफ्टी में अपनी शॉर्ट पोजिशन काटनी शुरू कर दी है और वे अब इसकी खरीद या लांग के पक्ष में चले गए हैं। तमाम विश्लेषक भी उन्हें समझा रहे हैं कि निफ्टी 6000 अंक के ऊपर चला जाएगा,औरऔर भी

बाजार का बहुत तेजी से बढ़ना अच्छा नहीं है तो पंटर भाईलोग शॉर्ट सेलिंग करने लगे। पहले कहा जा रहा था कि बहुत धीमा होना बाजार के लिए बहुत बुरा है और इसलिए शॉर्ट सेलिंग हो रही है। अरे भाई मेरे! आप लोग बाजार को कब समझेंगे? निफ्टी 5800 पर है और सारे के सारे एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) सेंसेक्स में शामिल स्टॉक खरीदने में जुटे हैं क्योंकि ऐसा करना उनकी मजबूरी है। मैं तो कहूंगा किऔरऔर भी

कावेरी सीड कंपनी लिमिटेड (बीएसई कोड – 532899, एनएसई कोड – KSCL) आंध्र प्रदेश की कंपनी है। उसका बीज तो 1978 में पड़ गया था। लेकिन पब्लिक लिमिटेड कंपनी वह चार साल पहले 2006 में ही बनी। उसे हाल ही में फोर्ब्स पत्रिका ने एक अरब डॉलर से कम कारोबार की श्रेणी में एशिया की सर्वश्रेष्ठ 200 कंपनियों की सूची में शामिल किया है। वैसे, इस सूची में भारत की 25 कंपनियां शामिल हैं। कंपनी के ग्राहकऔरऔर भी

मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मंदड़ियों ने पीछे भारी धक्का खाने के बावजूद अभी तक कोई सबक नहीं सीखा है। शॉर्ट सौदे करना उनका शौक बन गया है। टाटा स्टील में पैंट उतर जाने के बाद अब वे एसबीआई पर हाथ आजमा रहे हैं और उन्हें लगता है कि यह शॉर्ट सेल के लिए सबसे अच्छा काउंटर है। उनका साफ-साफ तर्क यह है कि एसबीआई का स्टॉक 2950 रुपए के भाव परऔरऔर भी

किसी शेयर के बढ़ने या गिरने से निवेशक पर क्या फर्क पड़ता है? क्या टेक्निकल एनालिस्टों के चार्ट चलते हैं या फंडामेंटल ही शेयर का दमखम तय करते हैं? मेरी राय में आखिरकार फंडामेंटल ही काम करते हैं और हकीकत यही है कि बाजार से चार्ट बनते हैं, न कि चार्ज बाजार को बनाते हैं। हमने हीरो होंडा में बिक्री की पहली कॉल 1926 रुपए पर दी और यह स्टॉक अब गिरते-गिरते 1700 रुपए पर आ गयाऔरऔर भी

बीईएमएल सरकार की मिनी-रत्न कंपनी है। रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। पहले इसका नाम भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड हुआ करता था। ए ग्रुप की कंपनी है। इधर चर्चा है कि उसे बड़े ऑर्डर मिलनेवाले हैं और सरकार अपनी थोड़ी इक्विटी हिस्सेदारी बेच भी सकती है। हालांकि कंपनी में सरकार की वर्तमान हिस्सेदारी 54.03 फीसदी है। इसलिए वह बहुत बेचेगी तो 3 फीसदी इक्विटी ही बेच सकती है क्योंकि इसमें 51 फीसदी से कम सरकारी हिस्सेदारीऔरऔर भी