जिनका धंधा-पानी शेयर बाजार से जुड़ा है, हर सुबह उनकी यही चिंता रहती है कि आज कहां जाएगा बाजार। लेकिन बाजार कहीं भी जाए, उससे जुड़े अधिकांश लोगों की हालत अच्छी नहीं है। कल शाम बीएसई में निवेश से जुड़े प्रोफेशनल लोगों के एक समारोह में गया था, जहां साल भर बाद सेंसेक्स से लेकर, कच्चा तेल, सोना और सरकारी बांडों की यील्ड का अंदाज लगाया जा रहा था। मंच पर बैठे विशेषज्ञों की राय में एकऔरऔर भी

सभी आवश्यक सूचनाओं तक सबकी पहुंच। किसी भी बाजार के कुशलता से काम करने की यह अनिवार्य शर्त है। ध्यान दें, सूचनाओं की उपलब्धता ही पर्याप्त नहीं, उनकी पहुंच जरूरी है। जो फेंच न जानता हो, उसे फ्रेंच में जानकारी देना महज एक अनुष्ठान भर पूरा करना है। लेकिन अपने यहां, खासतौर पर शेयर बाजार में यही हो रहा है। एक तो सारी सूचनाएं अंग्रेजी में, दूसरे ऐसा घालमेल कि आम निवेशकों को कुछ पल्ले ही नऔरऔर भी

केईसी इंटरनेशनल। अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी रखनेवाली आरपीजी समूह की मुख्य कंपनी। 40-45 फीसदी धंधा भारत से, बाकी बाहर से। करीब महीने भर पहले 400 करोड़ रुपए के नए ऑर्डर मिले। उससे हफ्ते भर पहले जून 2011 की तिमाही के नतीजों से सामने आया कि उसकी बिक्री 20.9 फीसदी और शुद्ध लाभ 25.4 फीसदी बढ़ा है। तब तक उसके पास 8116 करोड़ रुपए के अग्रिम ऑर्डर थे। अब 8516 करोड़ के हो गए हैं। साल भर पहले अमेरिका मेंऔरऔर भी

सदियों पहले बौद्ध भिक्षुओं का रिवाज था कि वे बारिश के चार महीनों में यायावरी छोड़, कहीं एक जगह ठेहा जमाकर बैठकर जाते थे। लगता है हम निवेशकों को भी कुछ महीनों के लिए हाथ-पैर बांधकर, लेकिन दिमाग खोलकर बैठ जाना चाहिए। असल में बाजार कहीं जा नहीं रहा। बस कदमताल किए जा रहा है। जानकारों का कहना है कि अभी जिस तरह ब्याज दरों के बढ़ने का सिलसिला चल रहा है, आर्थिक विकास दर में सुस्तीऔरऔर भी

वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के गवर्नर दो ऐसी शख्सियतें हैं जिनका एक-एक बयान शेयर बाजार को प्रभावित कर सकता है। सावधानी हटी दुर्घटना घटी। जरा-सा गलत बयान दे दिया तो बाजार में पलीता लग सकता है। लेकिन पहले पी चिदंबरम और अब प्रणव मुखर्जी कह चुके हैं कि उन्हें बाजार का उठना-गिरना नहीं समझ में आता। पिछले हफ्ते 3 मई को करीब सवा तीन बजे शाम सालाना मौद्रिक नीति पेश किए जाने के बाद रिजर्व बैंकऔरऔर भी

कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों के आने का सिलसिला बस शुरू ही होने को है। इसलिए शेयरों की नई खरीद-ब्रिकी का खेल अब ज्यादा दूर नहीं है। अग्रणी कंपनियों के अच्छे नतीजे और फिर उनके भावों का सही स्तर पर आना या करेक्शन होना हमारे पूंजी बाजार का नियमित पहलू है। कंपनियों की लाभप्रदता की कयासबाजी को लेकर सावधान रहिए। हम इसके बारे में आपको पहले से आगाह करना चाहते हैं। बाकी तो आप खुद हीऔरऔर भी

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की लिस्टेड कंपनियों को कम से कम 25 फीसदी पब्लिक शेयरधारिता की शर्त से मुक्त कर दिया है। सोमवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से इस बात की पुष्टि कर दी गई। इससे पहले छपी खबरों के मुताबिक हाल ही कोल इंडिया के भावी आईपीओ के सिलसिले में हुई बैठक में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि कम से कम साल 2104 तक सरकारी कंपनी को न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंगऔरऔर भी

हफ्ते भर पहले दीपक कुमार ने अफसोस जताया था कि वे तान्ला सोल्यूशंस (बीएसई कोड-532790) में फंस गए हैं। यह शेयर लगातार गिर रहा है। लेकिन मैंने देखा कि शुक्रवार को एक रुपए अंकित मूल्य का यह शेयर अचानक लगभग 6% बढ़कर 30.35 रुपए पर पहुंच गया है। कंपनी ने ठीक हफ्ते भर पहले 2 अगस्त को घोषित किया था कि उसने एमटीएनएल के 3जी स्पेक्ट्रम में वॉयस मेल सर्विस देने का अनुबंध किया है। तान्ला सोल्यूशंसऔरऔर भी

शेयर बाजार में जबरदस्त चर्चा है कि आईएफसीआई को दो दिन के भीतर रिजर्व बैंक से बैंक बनाने का लाइसेंस मिलनेवाला है और अगले हफ्ते बाकायदा इसकी घोषणा हो जाएगी। इस चक्कर में सटोरिये बड़े पैमाने पर आईएफसीआई की खरीद में जुट गए हैं। मामला कितना सच है कितनी अफवाह, इस बारे में रिजर्व बैंक की तरफ से कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन इन अटकलों के बीच हो यह रहा है कि आईएफसीआईऔरऔर भी